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Pahalgam Terror Attack: हिंदू ने पढ़ा कलमा.. दाढ़ी देख आतंकी ने समझा मुसलमान, असम के प्रोफेसर ने बताया कैसे बची जान

Terror Attack in Pahalgam: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के दौरान असम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य ने भीड़ के साथ कलमा पढ़कर अपनी जान बचाई। हमले के समय आतंकी ने उन्हें छोड़ दिया और वह सुरक्षित बच गए।

जम्मूApr 24, 2025 / 10:05 am

Devika Chatraj

Kashmir Terrorist Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 28 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। लेकिन इस खौफनाक मंजर के बीच असम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य की कहानी उम्मीद की किरण बनकर उभरी, जिन्होंने अपनी सूझबूझ और इस्लामिक शास्त्रों के ज्ञान के दम पर अपनी और अपने परिवार की जान बचाई।

क्या हुआ था उस दिन?

प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य, जो सिलचर की असम यूनिवर्सिटी में बंगाली विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं, अपने परिवार के साथ पहलगाम के बैसारन मीडोज में छुट्टियां मना रहे थे। मंगलवार की दोपहर, जब वे एक पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे, अचानक गोलियों की आवाज ने माहौल को दहशत में बदल दिया। आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाना शुरू किया और लोगों से उनकी पहचान पूछकर इस्लामिक शास्त्र ‘कलमा’ पढ़ने को कहा। जो कलमा नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी गई।

शास्त्रों के ज्ञान से बची जान

प्रोफेसर भट्टाचार्य ने बताया, मैं अपने परिवार के साथ पेड़ के नीचे लेटा हुआ था। तभी मैंने सुना कि आसपास के लोग कलमा पढ़ रहे थे। मैंने भी तुरंत कलमा पढ़ना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि एक आतंकी ने उनसे हिंदी और उर्दू में जोर से कलमा पढ़ने को कहा। प्रोफेसर, जो एक हिंदू ब्राह्मण हैं और जिन्हें इस्लामिक शास्त्रों का अच्छा ज्ञान है, ने जोर-जोर से ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ पढ़ा। शायद यही वजह थी कि आतंकी ने उन्हें छोड़ दिया।

पत्नी ने छुपाई हिंदू होने की पहचान

उनकी पत्नी ने भी तुरंत अपने माथे से सिंदूर हटाकर अपनी हिंदू पहचान छिपाई, जिससे उनकी जान बचाने में मदद मिली। प्रोफेसर ने कहा, “आतंकी के जाने के बाद हमने सात फुट ऊंची बाड़ पार की और घोड़े के निशानों का पीछा करते हुए एक स्थानीय परिवार की मदद से सुरक्षित जगह पहुंचे।”

परिवार की सुरक्षा और सरकार का सहयोग

इस घटना के बाद प्रोफेसर भट्टाचार्य और उनका परिवार गहरे सदमे में हैं। वे फिलहाल श्रीनगर में हैं और 26 अप्रैल को असम लौटने की तैयारी कर रहे हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने प्रोफेसर के परिवार से संपर्क किया और उनकी सुरक्षित वापसी के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया पर लिखा, “हम प्रोफेसर और उनके परिवार की सुरक्षित वापसी के लिए भारत सरकार के साथ समन्वय कर रहे हैं।”

सरकार लेगी बदला

पहलगाम का यह आतंकी हमला, जिसकी जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है, 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर घाटी का सबसे घातक हमला माना जा रहा है। हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की मौत हुई, जबकि कई अन्य घायल हुए। भारत सरकार ने इस हमले के जवाब में पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंधों को और कम करने, इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित करने और पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश देने जैसे कड़े कदम उठाए हैं।

#PahalgamAttack में अब तक

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