नज़ाकत ने बच्चों तो बाहों में लेकर बचाई जान
अरविंद अग्रवाल (35), जो छत्तीसगढ़ के चिरमिरी शहर से हैं, उस दिन अपनी पत्नी पूजा और चार साल की बेटी के साथ पहलगाम में थे। उन्होंने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, “सब कुछ शांत था, मैं फोटो खींच रहा था। मेरी बेटी और पत्नी मुझसे थोड़ी दूर थीं, तभी अचानक गोलीबारी शुरू हो गई। मेरे गाइड नज़ाकत (28) उस वक्त मेरी पत्नी, बेटी और एक अन्य दंपति व उनके बच्चे के साथ थे।” जैसे ही गोलीबारी शुरू हुई, नज़ाकत ने सभी को जमीन पर लेटने को कहा और अरविंद की बेटी और उनके दोस्त के बेटे को अपनी बाहों में लेकर उनकी जान बचाई। इसके बाद उन्होंने बच्चों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया और फिर अरविंद की पत्नी को बचाने के लिए वापस गए।
कश्मीरियों ने ढंकी इज्जत
अरविंद ने बताया कि करीब एक घंटे तक उन्हें अपनी पत्नी और बेटी की कोई खबर नहीं मिली। बाद में अस्पताल में जाकर उन्हें अपनी पत्नी और बेटी की सलामती की खबर मिली। उन्होंने भावुक होकर कहा, “अगर नज़ाकत वहां न होते तो पता नहीं क्या हो जाता… मेरी पत्नी के कपड़े फट गए थे, लेकिन वहां के स्थानीय लोगों ने उन्हें कपड़े देकर उनकी इज्जत ढंकी।” नज़ाकत ने भी उस खौफनाक मंजर को याद करते हुए बताया, “गोलीबारी ज़िपलाइन के पास, हमसे करीब 20 मीटर दूर हो रही थी। मैंने सबसे पहले आसपास के सभी लोगों को जमीन पर लेटने को कहा। फिर मैंने बाड़ में एक गैप देखा और बच्चों को वहां से निकाला। आतंकी हमारे करीब आने से पहले ही हम उस जगह से भाग निकले।” उन्होंने बताया कि बच्चों को सुरक्षित जगह पर छोड़ने के बाद वे अरविंद की पत्नी को ढूंढने वापस गए, जो दूसरी दिशा में भाग गई थीं। करीब डेढ़ किलोमीटर दूर उन्हें ढूंढकर नज़ाकत ने अपनी कार से उन्हें सुरक्षित श्रीनगर पहुंचाया।
मारा गया चचेरा भाई
लेकिन इस बहादुरी के बीच नज़ाकत को एक दुखद खबर भी मिली। उन्हें फोन पर बताया गया कि उनका चचेरा भाई, सैयद आदिल हुसैन शाह (30), जो एक घुड़सवार था, हमले में मारा गया। बताया जाता है कि आदिल ने आतंकियों को रोकने की कोशिश की थी, तभी उसे गोली मार दी गई। यह घटना न केवल आतंकवाद की क्रूरता को दर्शाती है, बल्कि नज़ाकत जैसे लोगों की हिम्मत और इंसानियत को भी सामने लाती है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए दूसरों की जिंदगी बचाई। अरविंद और उनके परिवार के लिए नज़ाकत किसी फरिश्ते से कम नहीं, जिनके चलते वे इस भयावह हमले से सुरक्षित बाहर निकल पाए।