सोशल मीडिया पर मचा बवाल
इसके अलावा छात्रा ने इस्लामिक ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा,’अगर कोई आदमी अपनी पत्नी को बिना बुर्के के घर में घूमने देता है तो वह ‘दय्यूस’ (कमजोर पुरुष) कहलाता है। छात्रा का बयान सोशल मीडिया पर वायरल होते ही हंगामा मच गया और लोगों ने शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठा दिए। एक्स यूजर्स ने मुख्यमंत्री सिद्धरामैया, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और डीजीपी को टैग कर मामले की जांच कराने की अपील की। मामले में उपनिदेशक (शिक्षा) राजेंद्र राजे उर्स ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
अधिकारीयों ने जांच के दिए आदेश
अधिकारियों ने इस मामले को संज्ञान में लिया है और जांच शुरू करने का भरोसा दिलाया है। चामराजनगर के उपनिदेशक (शिक्षा) राजेंद्र राजे उर्स ने वायरल वीडियो की पुष्टि की और कहा कि अधिकारी इसकी पड़ताल कर रहे हैं। उनका कहना था कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले घटना के पूरे तथ्यों को समझना आवश्यक है। राजेंद्र राजे उर्स ने आगे बताया, ‘हमें पहले घटना का पूरा परिप्रेक्ष्य समझना होगा। इसके बाद ही मैं आपको विस्तृत जानकारी दे सकेंगे।’
सोशल मीडिया यूजर्स की प्रतिक्रिया
बच्ची का वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर यूजर्स की अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। इस पर एक यूजर ने लिखा कि छोटी-सी बच्ची दो ताबूत प्रोजेक्ट में लाई, सोचिए उसे किस तरह का परिवेश मिल रहा होगा। अभी उसकी उम्र क्या है ये सोचने की कि उसकी मौत के बाद क्या होगा। उसका तो अभी सपने बुनने का समय है। बुर्का या कुछ अन्य नियम जब वह थोड़ी समझदार होगी अपने आप समझ लेगी। वही अन्य यूजर बच्ची का पक्ष लेते हुए कहता है, वह अपने धर्म की बात कर रही है। पर्दे में रहने में क्या बुराई है, जिसको इसमें बुरा नजर आ रहा वो अपना देखे। हर कोई अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करता है। अपने धर्म की अच्छी बातों को लोगों के सामने रखता है तो इसमें बुराई क्या है? हर मां-बाप को अपनी बच्ची को ऐसी नेक परवरिश देनी चाहिए।
पहले भी बुर्के पर विवाद
कर्नाटक में पहले भी बुर्के और हिजाब को लेकर विवाद हो चुका है, खास तौर पर 2022 में, जब यह मुद्दा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया था। यह विवाद मुख्य रूप से शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने की अनुमति को लेकर शुरू हुआ था। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब उडुपी जिले के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में कुछ मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण कक्षा में प्रवेश से रोक दिया गया। कॉलेज प्रशासन ने इसे यूनिफॉर्म नीति का उल्लंघन बताया था। इसके जवाब में छात्राओं ने प्रदर्शन शुरू किया और दावा किया कि हिजाब पहनना उनके धार्मिक अधिकारों का हिस्सा है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित है।