निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत मामला दर्ज
आरोपियों की ओर से एक कंपनी को जारी चेक बाउंस होने के कारण यह
मामला निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत दर्ज किया गया था। दलीलें सुनने के बाद अदालत ने तीनों को सजा सुनाते हुए अपना फैसला सुनाया। गौरतलब है कि नागेंद्र वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी आरोपी हैं, जिसकी फिलहाल जांच चल रही है। नागेंद्र को पिछले साल मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था।
वाल्मिकी घोटाले में शामिल नागेंद्र
यह आरोप लगाया गया है कि नागेंद्र वाल्मीकि निगम घोटाले के मुख्य सूत्रधार थे। हाल ही में, इस मामले की जांच कर रहे निदेशालय के अधिकारियों ने एक आरोपपत्र दायर किया है। जांच से यह साबित हुआ कि नागेंद्र और उसके गिरोह ने अवैध आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया था। 187 करोड़ रुपये की कुल राशि में से आरोपपत्र में 84 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति का उल्लेख किया गया है। नागेंद्र ने धन के अवैध उपयोग के लिए एक साजिश रची थी, और आरोपपत्र में यह भी कहा गया है कि वह इस षड्यंत्र का हिस्सा थे।
जांच में हुए खुलासे
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि बेल्लारी नामांकन के लिए निगम के धन का दुरुपयोग किया गया था। इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता विजय कुमार के मोबाइल फोन में चुनाव में धन के उपयोग से जुड़े सबूत मिले। इनमें 20 करोड़ 19 लाख रुपये के सिक्कों की तस्वीरें और प्रत्येक बूथ पर धन वितरण से संबंधित दस्तावेज शामिल थे।
जांच के लिए SIT का गठन
राज्य सरकार ने इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मनीष खरबिकर के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। दूसरी ओर, यूनियन बैंक ने अपने तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया है और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के पास इस मामले की औपचारिक शिकायत दर्ज की है। CBI ने इस मामले में अपनी जांच शुरू कर दी है। CBI के साथ-साथ राज्य सरकार की SIT भी इस मामले की तहकीकात करेगी। बीजेपी नेताओं ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और बी. नागेंद्र से इस्तीफे की मांग उठाई थी।