ISRO Chandrayaan Mission: चंद्रयान 5 को मिली मंजूरी, जापान भी देगा साथ, ISRO चीफ ने किया खुलासा
Chandrayaan-5 Mission: चंद्रयान-3 मिशन में जहां 25 किलोग्राम का रोवर ‘प्रज्ञान’ ले जाया गया था, वहीं चंद्रयान-5 में 250 किलोग्राम का रोवर चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा।
ISRO Mission: चंद्रयान-5 मिशन (Chandrayaan-5) को हाल ही में केंद्र सरकार से मंजूरी मिली है, जैसा कि इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन (V Narayanan) ने 16 मार्च 2025 को घोषणा की। यह मिशन चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए महत्वाकांक्षी है और इसे जापान के साथ मिलकर पूरा किया जाएगा। चंद्रयान-3 मिशन में जहां 25 किलोग्राम का रोवर ‘प्रज्ञान’ ले जाया गया था, वहीं चंद्रयान-5 में 250 किलोग्राम का रोवर चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा।
यह मिशन चंद्रयान-4 के बाद शुरू होगा। चंद्रयान-4 का उद्देश्य चंद्रमा से नमूने एकत्र कर धरती पर लाना है। चंद्रयान-5 के जरिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पानी की उपस्थिति और इसके संभावित उपयोग की जांच की जाएगी। यह मिशन भारत और जापान के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक बड़ा कदम है।
कब लॉन्च होगा चंद्रयान-4?
इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने जानकारी दी कि चंद्रयान-4 मिशन को 2027 में लॉन्च करने की संभावना है, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा से नमूने एकत्र कर उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना होगा। भारत के चंद्रयान मिशनों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह का गहन अध्ययन करना है। इससे पहले, 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 के लैंडर ‘विक्रम’ ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की थी।
जापान देगा साथ
चंद्रयान-5 मिशन, जिसे लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन (LUPEX) भी कहा जा रहा है, भारत और जापान के बीच एक संयुक्त परियोजना है। इस मिशन में जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA (Japan Aerospace Exploration Agency) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
चंद्रयान मिशनों के जरिए चंद्रमा की सतह का गहन अध्ययन किया जा रहा है। साल 2008 में लॉन्च हुए चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर मौजूद रसायनों और खनिजों की खोज की थी, साथ ही चंद्रमा की भू-स्थैतिक मैपिंग भी सफलतापूर्वक पूरी की थी। चंद्रयान-2 मिशन ने अपने तय उद्देश्यों का 98% कार्य पूरा किया था, और इसके तहत भेजा गया हाई-रिजोल्यूशन कैमरा आज भी चांद की सैकड़ों तस्वीरें भेज रहा है। वहीं, चंद्रयान-3 मिशन के माध्यम से चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग की गई, और रोवर ‘प्रज्ञान’ के जरिए चांद की सतह से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाई जा रही हैं।