इस मुलाकात का समय भी खासा अहम माना जा रहा है। बीते कुछ समय से यह चर्चा जोरों पर है कि बीजेपी नीत महायुति सरकार में एकनाथ शिंदे को दरकिनार किया जा रहा है, जिससे वे नाराज हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के महाराष्ट्र दौरे के दौरान उन्होंने एनसीपी प्रमुख व उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पास मौजूद वित्त विभाग को लेकर शिकायत भी की थी। इन सभी घटनाक्रमों के बीच शिंदे और राज ठाकरे की मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
मुंबई महानगरपालिका चुनाव (BMC Election) समेत राज्य में आगामी स्थानीय निकाय चुनाव नज़दीक हैं, और ऐसे में यह अटकलें भी तेज़ हैं कि शिंदे गुट और मनसे की नज़दीकियां क्या मुंबई और उससे सटे जिलों की राजनीतिक तस्वीर बदलने की भूमिका निभा सकती हैं।
यह मुलाकात इसलिए मायने रखती है कि इस साल बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमएसी) के चुनाव होने की उम्मीद है। चुनाव तीन साल से लंबित हैं। इस मुलाकात को शिंदे की रणनीतिक दांव समझा जा रहा है, एक ओर वे ठाकरे गुट को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सत्तारूढ़ महायुति के भीतर अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश भी कर रहे हैं।
मुंबई पर वर्षों से शिवसेना का दबदबा रहा है, लेकिन अब शिवसेना दो गुटों में बंट चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) मुंबई में मजबूत है। चुनावी रणनीति में शिंदे अगर राज ठाकरे को साथ लेते हैं, तो न सिर्फ उद्धव ठाकरे को टक्कर दी जा सकती है, बल्कि बीजेपी पर भी दबाव बनाया जा सकता है और महायुति में सीट बंटवारे को लेकर और बार्गेनिंग संभव होगी।
एकनाथ शिंदे ने क्या कहा?
हालांकि इस मुलाकात को लेकर एकनाथ शिंदे ने कहा, “यह सिर्फ एक शिष्टाचार भेंट थी। गठबंधन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। सिर्फ भोजन का निमंत्रण था और बालासाहेब ठाकरे की यादें ताजा की। राज ठाकरे लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के साथ थे। राज ठाकरे और हमारे विचार मेल खाते हैं। इसलिए विरोधियों को चिंता करने की जरूरत नहीं, उन्हें अपना काम करना चाहिए।” राज ठाकरे से मुलाकात पर शिंदे ने कहा, “ये शिष्टाचार भेंट थी, बाला साहब ठाकरे के समय से हम साथ में काम करते थे, कुछ कारण की वजह से बीच में हमारी मुलाकात नहीं होती थी वो कारण आपको पता है लेकिन अब हम कभी भी मिल सकते हैं और बातकर सकते हैं वह भी मुझसे मिलते हैं…हर भेंट का राजनीतिक अर्थ निकालना उचित नहीं है।”