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UPSC Success Story: भेड़ चरा रहा था, तभी दोस्त का आया फोन, ‘Birdev Dhone तू IPS बन गया’

IPS Birdev Dhone : संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा परीक्षा 2024 के अंतिम परिणामों की घोषणा मंगलवार को की। कोल्हापुर के 27 वर्षीय बीरदेव ढोने ने भी सफलता हासिल की है। उन्हें 551वीं रैंक मिली है।

मुंबईApr 25, 2025 / 03:19 pm

Dinesh Dubey

महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के कागल तालुका के छोटे से गांव यमगे के चरवाहे परिवार के बीरदेव सिद्धाप्पा ढोने (27) ने वो कर दिखाया, जो लाखों युवाओं का सपना होता है। कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपनी मेहनत के बल पर बीरदेव ने UPSC 2024 की परीक्षा में 551वीं रैंक हासिल कर आईपीएस अधिकारी बन गए है। खास बात यह रही कि जब यूपीएससी परिणाम घोषित हुआ, तब बीरदेव अपने माता-पिता के साथ कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा पर स्थित बेलगावी में भेड़-बकरियां चरा रहे थे। तभी उनके दोस्त निशांत देशमुख ने उन्हें फोन कर यह खुशखबरी दी।
बीरदेव के पिता चरवाहे हैं और मां गृहिणी है। गरीब परिवार से आने वाले बीरदेव ने शुरुआत से ही बड़ी सोच रखी। उनका सपना था भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना और देश की सेवा करना। स्कूली जीवन से ही पढ़ाई में अव्वल रहे बीरदेव ने गांव के प्राथमिक विद्यालय से लेकर मुरगुड के शिवराज विद्यालय जूनियर कॉलेज तक हर परीक्षा में टॉप किया। 10वीं और 12वीं में वह मुरगुड केंद्र में प्रथम रहे और गणित में 100 में से 100 अंक प्राप्त किए।
बाद में उन्होंने 2020 में पुणे के सीओईपी कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। लेकिन उनका लक्ष्य स्पष्ट था यूपीएससी पास करना है। इसके लिए वे दिल्ली गए और वहां किसी तरह कोचिंग में दाखिला लिया। इस दौरान उन्होंने अपनी अंग्रेजी पर भी ध्यान दिया। इसमें उनके दोस्तों ने भी उनकी मदद की। तीसरे प्रयास में उन्होंने अपना सपना सच कर दिखाया और यूपीएससी क्रैक कर ली।

बीरदेव की सफलता पर परिवार में खुशी का माहौल-

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बीरदेव की सफलता में उनके परिवार का योगदान भी बहुत अहम रहा। उनके बड़े भाई वासुदेव ढोने भारतीय सेना में नायक पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बीरदेव की पढ़ाई में मदद की। दिल्ली में कोचिंग के लिए पैसों की कमी हुई तो उन्होंने अपने दोस्त निशांत देशमुख से मदद मांगी।

चरवाहे का बेटा बना IPS, भेड़ चराते वक्त दोस्त ने दी खुशखबरी-

IPS Birdev Dhone
बीरदेव ने कहा, मेरे भाई पुलिस अधिकारी बनना चाहते थे, लेकिन आर्थिक मजबूरियों के चलते उन्हें सेना में जाना पड़ा। उन्होंने मुझे हमेशा आगे बढ़ने में मदद की। मैंने ठान लिया था कि मुझे यूपीएससी क्रैक करना ही है, चाहे कुछ भी हो जाए। पिता शुरू में चाहते थे कि मैं कोई नौकरी करूं। मैंने पोस्टमैन के तौर पर 2020 से 2021 के बीच काम किया, लेकिन सिविल सर्विस की तैयारी के लिए इस्तीफा दे दिया।
बीरदेव आज कागल तालुका के पहले आईपीएस अधिकारी बन गए हैं। उनकी इस उपलब्धि पर पूरा जिला गर्व महसूस कर रहा है।

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