शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि यह कदम औरंगजेब के शासनकाल से पहले उस स्थान की ऐतिहासिक पहचान को बहाल करने के लिए उठाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि खुल्दाबाद का नाम पहले रत्नापुर था, लेकिन औरंगजेब के समय में नाम बदलकर इसे खुल्दाबाद कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि औरंगजेब द्वारा भारत में किए गए नाम परिवर्तन को पहले जैसा किया जाएगा। औरंगजेब द्वारा भारतीय संस्कृति पर किए गए हमलों को स्वीकार नहीं किया जाएगा। शिरसाट ने कहा कि औरंगजेब ने पूरे भारत में कई शहरों के नाम बदले थे।
डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना के नेता ने यह भी कहा कि औरंगजेब की कोई भी याद देश में नहीं रहनी चाहिए, उसने छत्रपति संभाजी महाराज की नृशंस हत्या की थी। हम औरंगजेब की यादों को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। औरंगजेब का नाम या निशानी कहीं भी नहीं रहनी चाहिए।
संजय शिरसाट ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष केवल वोट की राजनीति कर रहा है, जबकि शिवसेना इन मुद्दों पर कभी भी सियासत नहीं करती। उन्होंने कहा कि शिवसेना का मकसद सही नामों को बहाल करना है, जिससे औरंगजेब के शासन में हुई गलतियों को सुधारा जा सके।
तो पूरे देश का नाम बदल दीजिए…
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक अबू आजमी ने कहा, “पुराने शहर का नाम बदलने से क्या हासिल होगा? अगर कोई नया शहर बसाया गया होता, तो बात अलग होती। मेरा मानना है कि अगर नाम बदलने से महंगाई खत्म हो जाएगी, अगर नाम बदलने से बेरोजगारी दूर हो जाएगी, अगर नाम बदलने से देश में कानून-व्यवस्था सुधर जाएगी, तो मैं तो कहूंगा कि सिर्फ एक जगह का नहीं, पूरे देश का नाम बदल दीजिए, हम उसका स्वागत करेंगे। लेकिन नाम बदलने का मुद्दा उठाकर देश के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने का काम किया जा रहा है।“ औरंगजेब को छत्रपति संभाजीनगर से 25 किमी दूर खुल्दाबाद में दफनाया गया था।