इन उदाहरणों से जानिए, सिस्टम की स्थिति
03 जनवरी को जिला अस्पताल के नई बिल्डिंग स्थित एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) में आग लगी थी उस समय भी सिस्टम ने काम नहीं किया और स्टाफ ने अग्निशमन यंत्रों के सहारे आग पर काबू पाया था। वहां वार्ड में भर्ती 50 बच्चों की जान पर आन बनी थी लेकिन स्टाफ की सक्रियता उन बच्चों को बगल वाले वार्ड में शिफ्ट किया। और अस्पताल में मौजूद अग्निशमन यंत्र से आग पर काबू पाया।गणेशी हॉस्पीटल में मिला एक्सपायरी डेट का अग्निशमन
अस्पतालों में आए दिन हो रही आगजनी की वारदातों को लेकर शासन ने प्राइवेट व सरकारी अस्पतालों में मॉकड्रिल करवाने के निर्देश दिए हैं। इसी के तहत मंगलवार को सीएमएचओ ने दो प्राइवेट अस्पतालों में मॉक ड्रिल करवाकर स्टाफ को बताया कि अगर आग लगती है तो उसको किस तरह बुझाया जाए। इस दौरान गनेशी हॉस्पीटल में एक अग्निशमन यंत्र एक्सपायरी डेट का मिला और जो लगे थे, वह बिल्डिंग को देखते हुए कम संख्या में थे, इसके अलावा अन्य अव्यवस्थाएं भी मिलीं। सीएमएचओ ने सिलेंडर को बदलने और संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए। कुछ और भी असुविधाएं मिलीं, जिनके सुधार के निर्देश दिए गए।कमेटी करेगी फायर सिस्टम का ऑडिट
जिला अस्पताल में लगातार आगजनी की घटनाएं होना और फायर सिस्टम द्वारा काम न करने के मामले को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। कलेक्टर ने एक कमेटी गठित की है, जो फायर सिस्टम की ऑडिट करेगी। जिसमें यह देखा जाएगा कि आखिर ये सिस्टम काम क्यों नहीं कर रहा है।सीएमएचओ डॉ. पदमेश उपाध्याय से सीधी बात
पत्रिका: जिला अस्पताल में फायर सिस्टम स्थापित करने में करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं लेकिन काम नहीं कर रहा।सीएमएचओ: सिस्टम तब काम करता है जब तापमान 56 डिग्री पर होगा। इस बार जो आग लगी थी, वह टीनशेड (बरामदे) में लगी थी, वहां सिस्टम नहीं था, जब वार्ड में पहुंची तो पता चल गया था।
पत्रिका: आग लगने पर हर बार जांच समिति बनाई जाती है लेकिन कार्रवाई नहीं होती, क्यों।
सीएमएचओ: हर घटना के बाद जांच समिति बनती है और बनाना भी चाहिए, उससे सुधार होता है, छोटी-छोटी कमियों को दूर किया जाता है।
पत्रिका: आग लगने पर अस्पतालों में क्या प्रबंध किए गए हैं।
सीएमएचओ: हर प्राइवेट व सरकारी अस्पतालों में मॉक ड्रिल कराई जा रही है, स्टाफ को बता रहे हैं कि आग लगने पर प्रथम दृष्टया क्या कर सकते हैं।