प्रोफेशनल्स को प्रभावित कर रहे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चैट जीपीटी जैसे टूल्स
Artifical Intelligence: आजकल छात्रों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई पहली वरीयता बन रही है। एआई और चैट जीपीटी जैसे टूल्सडिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल्स को प्रभावित कर रहे हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पहली च्वाइस, प्रोफेशनल्स को प्रभावित कर रहे एआई और चैट जीपीटी जैसे टूल्स
Artifical Intelligence: सूचना एवं प्रौद्योगिकी की दुनिया में एक मुद्दा चर्चा का विषय बना है। यह है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। जिसे लोग एआई के नाम से जानते हैं। इसके कई सारे टूल्स इंटरनेट प्रोफेशनलस के लिए खतरा बनकर भी उभर रहे हैं। जिनमे चैट जीपीटी शीर्ष पर है। एआई टेक्नोलॉजी में तेज़ी से हुई तरक्की ने लेखन, फिल्म निर्माण, कलाकारी, मार्केटिंग, कोडिंग जैसे पेशों के भविष्य को सवालों के घेरे में डाल दिया है।
एआई टूल्स और चैट जीपीटी जैसे लैंग्वेज मॉडल्स हमारी दुनिया को कैसे बदलेंगे ये देखना और समझना अभी भी बाक़ी है। प्रेसवर्स के संस्थापक कुशाग्र आनंद डिजिटल मार्केटिंग स्पेशलिस्ट हैं। वे ब्रांड्स, स्टार्टअप्स, सेलिब्रिटीज़ और इंफ्ल्युएंसर्स की सोशल मीडिया मार्केटिंग के माध्यम से बढ़ने में मदद करते हैं। वे देश और विदेश के कई ब्रांड्स के साथ काम कर चुके हैं, और कई सालों का अनुभव रखते हैं।
उन्होंने बताया कि मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग टीवी, रेडियो, न्यूज़पेपर्स, होर्डिंग्स, इत्यादि से होती थीं। इंटरनेट के साथ डिजिटल मार्केटिंग में वृद्धि हुई है। इसके ज़रिये उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस का उपयोग होता है। उन्होंने बताया कि जॉन हापकिंस विश्वविद्यालय में किए गए एक शोध का आंकड़ा बताता है कि भारतीय बाजार में डिजिटल मार्केटिंग बिजनेस की मौजूदा मार्केट 4.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की है।
2023 तक इसमें 32 प्रतिशत की रफ्तार से ग्रोथ का अनुमान व्यक्त किया था। लेकिन जिस गति के साथ ऑटोमेशन टूल्स का दबदबा बढ़ रहा है, इस पर खतरा मंडराता तो दिख ही रहा है। एआई और चैट जीपीटी की लोकप्रियता के प्रभाव के बारे में कुशाग्र आनंद का मानना है कि, ये प्रभाव प्रोफेशनल्स के साथ-साथ समाज पर काफ़ी हावी हो रहा है।
यहीं कारण है कि आज इंजीनियरिंग के छात्र एआई की पढ़ाई करना चाहते है।। इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने के लिए एआई और चैट जीपीटी जैसे टूल्स में महारथ हासिल कर सफलता की राह पकड़ना चाहते हैं। लेकिन वहीं इसका दूसरा पहलू भी है अगर मार्केटिंग के लिए लोग और संस्थाएँ ऐसे टूल्स पर निर्भर करने लगी तो वे अपनी विशिष्टता और पहचान खो देंगे। इसी के साथ हम कंप्यूटर की बनाई राह पर चलेंगे तो अपनी भावनाओं और संस्कारों से दूर होते जाएँगे। ऐसी परिस्थिति में जनता का प्यार और भरोसा जीतना काफ़ी मुश्किल होगा।”।
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