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Fire News: बिजली सब स्टेशन में लगी भीषण आग, धुएं के गुब्बारे देख मची अफरा-तफरी, घर छोड़कर भागे लोग करंट से वन्य जीवों की मौत का यह पहला मामला नहीं है। पूर्व में भी कई बार वन्य जीवों की मौत करंट की चपेट में आने से हो चुकी है। इनमें ज्यादातर अवैध कनेक्शन पाए हैं। पूर्व में बिजली कंपनी द्वारा अभियान चलाया गया था। इसके बाद फिर से अनदेखी की गई। गर्मी के दिनों में वन्य जीव भूख और प्यास के कारण आबादी क्षेत्र की ओर बढ़ते हैं। जंगली शिकारी पानी के स्रोत के आस-पास ही करंट का जाल बिछाते हैं। जिससे वन्य जीव चपेट में आ जाते हैं। वन्य जीवों की मौत के बाद भी संबंधित विभाग जागता है।
अवैध कनेक्शन पर कार्रवाई नहीं की जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग हुकिंग कर निर्माण कार्य कर रहे हैं। इस पर भी सख्ती नहीं बरती जाती है।
बिजली कंपनी द्वारा अवैध कनेक्शन की समय-समय पर निगरानी नहीं की जाती है। ज्यादातर खेतों में रात के समय ही जाल बिछाया जाता है। पूर्व में हुए मौतों से बिजली कंपनी अभी भी सबक नहीं ले पाई है।
ग्रामीण क्षेत्रों और खेतों में ही जाल बिछाए जाते हैं। जिससे रात में वन्य जीव शिकार हो जाते हैं। बिजली विभाग के कार्यपालन अभियंता पीआर वर्मा ने बताया कि एक टीम अवैध कनेक्शन व हुकिंग के लिए सर्वे कर रही है। वन्य जीवों की मौत के मामले में भी जांच कर अवैध कनेक्शन पर कार्रवाई की जाएगी।
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा शिकार के मामले 2020 में सामने आए थे। कोराना काल के दौरान ज्यादा शिकार किया गया था। 2020 में 14 वन्य जीवों का शिकार करंट से किया गया था। पिछले कुछ वर्षों में 30 से अधिक वन्य जीवों की करंट से मौत हुई है। वर्ष 2023 में कोडार बांध के पास एक हाथी की भी करंट की चपेट में आने से मौत हो गई थी। शिकारियों ने नहर किनारे करंट का जाल बिछाया था।