क्यों की गई छापेमारी?
ईडी की ओर से जारी बयान में बताया गया कि FIIT-JEE के निदेशक डी.के. गोयल, सीईओ, सीओओ, सीएफओ के घरों और संस्थान के आधिकारिक दफ्तरों पर तलाशी अभियान चलाया गया। यह जांच उन कई प्राथमिकी (FIR) के आधार पर की गई है, जो नोएडा, लखनऊ, दिल्ली, भोपाल और अन्य शहरों में दर्ज की गई थीं। इन एफआईआर में आरोप था कि FIIT-JEE के वरिष्ठ प्रबंधन ने छात्रों और उनके अभिभावकों से गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक सेवाएं देने का वादा किया, लेकिन उनकी फीस लेकर कोई सुविधाएं नहीं दीं। नगदी-जेवर समेत समेत दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त
जांच में यह भी पाया गया कि FIIT-JEE ने चल रहे बैचों से लगभग 206 करोड़ रुपये की राशि वसूल की थी, लेकिन वादा की गई सुविधाएं और सेवाएं छात्रों को नहीं दी गईं। तलाशी के दौरान कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए, जो वित्तीय अनियमितताओं का संकेत देते हैं। जांच में यह खुलासा हुआ कि संस्थान ने जमा की गई राशि का उपयोग निजी और गैर-आधिकारिक कार्यों के लिए किया, जबकि शिक्षकों के वेतन का भुगतान भी नहीं किया गया।
अचानक बंद कर दिए गए 32 कोचिंग सेंटर
इसके परिणामस्वरूप, गाजियाबाद, लखनऊ, मेरठ, नोएडा, प्रयागराज, दिल्ली, भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, फरीदाबाद, गुरुग्राम, मुंबई समेत कई शहरों में FIIT-JEE के 32 कोचिंग सेंटर अचानक बंद कर दिए गए। इस कदम से लगभग 14,400 छात्र और उनके अभिभावक प्रभावित हुए। ईडी ने कहा कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि यह धोखाधड़ी छात्रों और उनके माता-पिता को शिक्षा सेवाओं के नाम पर ठगने के उद्देश्य से की गई थी।