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कोलकाता

श्वांस लय से नियंत्रित होता जीवन और मधुमेह: डॉ. मुनि

. नियंत्रित श्वांस अर्थात लयनात्मक श्वांस प्रक्रिया के माध्यम से जीवन को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही इससे भूख और मधुमेह को काबू में किया जा सकता है। यह दावा जैन संत और अध्यात्म वैज्ञानिक डॉ. आदर्शचंद्र मुनि ने किया। वे शनिवार को मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री (एमसीसीआई) की ओर से भोजन की लत और मधुमेह विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे

कोलकाताJun 20, 2023 / 12:14 am

Rabindra Rai

श्वांस लय से नियंत्रित होता जीवन और मधुमेह: डॉ. मुनि

श्वांस लय से नियंत्रित होता जीवन और मधुमेह: डॉ. मुनि

श्वांस लेने और छोडऩे की प्रक्रिया 12 सेकेंड की
भोजन की लत और मधुमेह विषय पर आयोजित कार्यक्रम
कोलकाता. नियंत्रित श्वांस अर्थात लयनात्मक श्वांस प्रक्रिया के माध्यम से जीवन को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही इससे भूख और मधुमेह को काबू में किया जा सकता है। यह दावा जैन संत और अध्यात्म वैज्ञानिक डॉ. आदर्शचंद्र मुनि ने किया। वे शनिवार को मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री (एमसीसीआई) की ओर से भोजन की लत और मधुमेह विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। मुनि ने भूख कम करने और बीमारियों से मुक्त होने के वैज्ञानिक तौर तरीके बताए।
उन्होंने कहा कि 12 सेकेंड की श्वांस लेने और छोडऩे की प्रक्रिया है। इसे श्वांस लय कहा जाता है। इसका सही अभ्यास कर जीवन को नियंत्रित किया जा सकता है। समुचित आहार लेकर मधुमेह को सामान्य किया जा सकता है। व्यक्ति न सिर्फ अपनी भूख पर काबू पा सकता है, बल्कि वह पूर्ण रूप से स्वस्थ्य रह सकता है।

अनियंत्रित श्वांस लेने से बढ़ती दिक्कतें
आदर्शचंद्र मुनि ने बताया कि श्वांस ही हमारा जीवन है। हमारे शरीर के लिए आक्सीजन बहुत जरूरी है। अनियंत्रित श्वांस लेने से हमारे शरीर के सभी सेल तक आक्सीजन नहीं पहुंचती। नतीजा वे सेल मर जाते हैं और हमें भूख लगती है। शरीर में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं होती हैं और मधुमेह जैसी बीमारियां भी पैदा होती हैं। श्वांस लय के जरिए शरीर के हर सेल तक आवश्यक ऑक्सीजन पहुंचती है। नतीजा सेल जिंदा रहते हैं और हमें भूख नहीं लगती है। कम भूख लगने का मतलब मधुमेह को काबू में रखना है।

अभ्यास के जरिए मिलती है शक्ति
मुनि ने कहा कि तीन सेकेंड श्वांस लेने के बाद तीन सेकेंड श्वांस रोकना फिर तीन सेकेंड श्वांस छोड़कर तीन सेकेंड श्वांस रोकना होता है। लगातार 21 दिन ऐसे अभ्यास करने से भूख कम होने लगती है। मैं इसके अभ्यास से वर्ष में 200 दिन खाना नहीं खाता हूं। इसे हासिल करने के लिए किसी को संत बनने की कोई जरूरत नहीं है। आम आदमी भी अभ्यास के जरिए यह शक्ति हासिल कर सकता है।

ये करें उपाय
मुनि ने कहा कि हर सुबह और रात में खाना खाने से पहले सीधे लेटकर पेट पर सहने योग्य थैले में पांच से 10 किलो बालू लगातार 24 मिनट रखने से मधुमेह की बीमारी धीरे-धीरे पूर्ण रूप से नियंत्रित हो जाती है। कार्यक्रम में चेंबर की स्वास्थ्य काउंसिल के चेयरमैन राजेंद्र खंडेलवाल और इसके सदस्य मनीष भोगीलाल मेहता उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बोलते जैन संत और अध्यात्म वैज्ञानिक डॉ. आदर्शचंद्र मुनि। पत्रिका

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