इन मिडिल स्कूलों को हाइस्कूल की दरकार
जिले में 26 माध्यमिक स्कूल ऐसे हैं जिनको हाइस्कूल बनाने के लिए कई साल से शिक्षा विभाग को पत्र भेजा जा रहा है, लेकिन पात्र न होने की बात कहकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार मिडिल स्कूल हथियागढ़, केवलरहा, कूड़ा घनिया, रामपुर, संसारपुर, पथराड़ी पिपरिया, निमास, सुपेली, चरगवां, पौंसरा, राबर्ट लाइन माधवनगर, मड़ई, बरछेंका, करोंदीकलां, गल्र्स नवीन सुतरी, नवीन बगदरा, परसवारा खुर्द, टीकर, छोटा कनेरा, इटवन, पिपरिया शुक्ल, नवीन बिहरिया, बरहटा, खमरिया, सिंघनपुरी, पाली, महुआ स्कूल शामिल हैं। इनका अबतक उन्नययन नहीं हो पाया।अबतक नहीं बने ये हाइस्कूल हॉयर सेकंडरी स्कूल
इसी प्रकार हाइस्कूल से हॉयर सेकंडरी बनाने के लिए 27 स्कूलों का प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें हाइस्कूल बकलेहटा, गुड़ेहा, भरतपुर, करहिया, बिचुआ, जुहली, देवरी मवई, झिर्री, गोपालपुर, डोकरिया, विलायतकला, गुलवारा, हीरापुर कौडिय़ा, सिंघनपुरी, जमुआनीकला, खरखरी अमुआरी, रामपाटन, पोड़ी, निगहरा, नन्हवारा सेझा, बडख़ेरा, पठरा, रोहनिया, खलवारा बाजार, खंदवारा, सैलारपुर, खरहटा व कोठी हाइस्कूल शामिल हैं। ये कई वर्षों से उन्नययन का बाट जोह रहे हैं।इसलिए मिडिल स्कूलों का नहीं हो रहा उन्नययन
मिडिल स्कूलों का अबतक हाइस्कूल में व हाइस्कूलों का अबतक हॉयर सेकंडरी स्कूल में उन्नययन न होने की मुख्य वजह यह पत्र है। मंत्री परिषद के निर्णय 22 जून 2021 के अनुसार जारी किया गया विभागीय आदेश क्रमांक एफ 44-2/2021/20-2 दिनांक 12 जुलाई 2021 है। इसमें कहा गया था कि प्रदेश के 9200 विद्यालयों को सर्व संसाधन विद्यालयों के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त कोई अन्य नया विद्यालय आरंभ नहीं किया जाएगा। उक्त आदेश के परिपालन में वर्तमान में संचालनालय स्तर पर शाला उन्नययन संबंधी कोई कार्रवाई प्रस्तावित नहीं है। यहां आदेश संचालक लोक शिक्षक द्वारा जारी किया गया था।
पांच बार सीएम ने की घोषणा: पूर्व सरपंच
20 वर्षों से अधिक समय से स्कूल के उन्नययन की मांग उठाई जा रही है। बिचुआ के पूर्व सरपंच रविशंकर तिवारी ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की। बेटियों ने भी गुहार लगाई थे। 5 बार स्कूल के उन्नययन की घोषणा बड़वारा, पौनिया, देवरीहटाई, सैलारपुर व कटनी में घोषणा की, लेकिन स्कूल का उन्नययन नहीं हुआ है। पूर्व सांसद गणेश सिंह के प्रचार में मंत्री विजय शाह पहुंचे थे। गांव में आश्वासन देकर गए थे कि चुनाव के बाद 15 दिन में हॉयर सेकंडरी स्कूल खोलने की पहल होगी, लेकिन आजतक बात नहीं बनी। कई बार विधायक, सांसद, अधिकारियों के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन स्कूल का उन्नययन नहीं हो पाया। कई बेटियां व बच्चे पढ़ाई छोड़ चुकी हैं।स्कूल का उन्नययन न होने से यह पड़ रहा प्रभाव
लंबी दूरी तय करने की मजबूरी: हाइस्कूल न होने से छात्रों को 5-10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, जिससे उनकी पढ़ाई बाधित होती है।
स्थानीय लोगों की पुरजोर मांग
ग्रामीण क्षेत्रों के अभिभावकों और शिक्षकों ने सरकार से जल्द से जल्द इन स्कूलों का उन्नययन करने की मांग की है। विकास दुबे का कहना है कि शिक्षा मंत्री के गृह जिले में ही शिक्षा की ऐसी बदहाल स्थिति चिंता का विषय है। शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत किए बिना किसी भी सुधार योजना का लाभ छात्रों तक नहीं पहुंच पाएगा। सरकार को स्कूलों के उन्नययन पर जल्द निर्णय लेना होगा, ताकि बच्चों का भविष्य अंधकार में न जाए।राज्य शासन को करना है उन्नययन: डीइओ
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्कूलों के उन्नययन के प्रस्ताव सरकार के पास भेजे गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी वृथ्वीपाल सिंह का कहना है कि स्कूलों के प्रस्ताव राज्य शासन को भेज दिए गए हैं। उन्नययन सरकार को करना है। हमारे पास जनप्रतिनिधियों व लोगों के माध्यम से जो प्रस्ताव आए थे वे यहां से तैयार कर भेज दिए गए हैं। रिमांडर पत्र भी कई बार लिखा गया है। यह काम राज्य शासन का है। हम सरकार को उन्नययन के लिए नहीं बोल सकते। हालांकि सरकारी का फोकस सीएम राइज स्कूलों पर है।
फैक्ट फाइल
- 180896 सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे।
- 1282 हैं जिले में प्राथमिक स्कूल
- 532 जिले में हैं माध्यमिक स्कूल
- 176 जिलेभर में हैं हाइ व हॉयर सेकंडरी स्कूल
इन स्कूलों को बंद करने की है तैयारी
इस सत्र से 25 स्कूलों को बंद करने की तैयारी में शिक्षा विभाग है। महरगवां, बरगवां रैपुरा, मड़ैया हथकुरी, चिखला, टिहकारी, झाराखेड़ा, नैगवा टोला, कनिष्ट प्राथमिक शाला भादावर, पीएस पुरैनी टोला, गुना, खिरवा टोला, धवाड़ी खेड़ा, इमलीगढ़, मोहाई, मड़ैय्यन टोला, कजलीवन, पचमठा, बदेरा, हरदुआकला, देवसरी इंदौर, सगवां, कंजिया, धौरेसर, केवलारी कम दर्ज संख्या के कारण कारण बंद करने का प्रस्ताव तैयार किया है।किया जाएगा उन्नययन-मंत्री
उदय प्रताप सिंह, शिक्षा मंत्री व जिले के प्रभारी मंत्री ने कहा कि अभी स्कूलों का उन्नययन इसलिए नहीं हो पा रहा था कि सीएम राइज स्कूल का कान्सेप्स प्रदेश से आया था। इसमें नियम था कि जहां पर सीएम राइज स्कूल बनेंगे उससे तय दूरी में स्कूल नहीं बनेंगे। हमारी डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार आने के बाद समीक्षा की गई है। अभी जिस गति से सीएम राइज बनना चाहिये वह नहीं बन पा रहे हैं, इसलिए जहां पर मिडिल व हाइस्कूल के उन्नययन की आवश्यकता है, उसपर जल्द निर्णय लेकर काम कराया जाएगा।