यह था खर्चे का गणित
जानकारी के अनुसार 10 हजार रुपए कटनी जंक्शन में औसतन 90 मरीजों के इलाज में खर्च आते थे। 4 हजार रुपए मुड़वारा स्टेशन में खर्च होते थे, इस राशि से मुड़वारा स्टेशन में अटेंड होने वाली 35 से 40 मरीज यात्रियों को इलाज मिलता था। दोनों स्टेशन में मिलाकर सवा सौ यात्रियों को हर माह लाभ मिलता था।
जानकारी के अनुसार सफर के दौरान यदि कोई यात्री किसी भी ट्रेन में बीमार हो जाता था, या दवाएं भूल जाता था तो वह इमरजेंसी में रेलवे कंट्रोल व टीसी स्टॉफ को सूचना देते थे। कंट्रोल से मैसेज मिलता था कि फला गाड़ी में मरीज आ रहा है। रोग बताया जाता था। एनकेजे के रेलवे अस्पताल से चिकित्सक को बुलाकर इलाज कराया जाता था। इसमें दवाओं का शुल्क व डॉक्टर की फीस 100 रुपए प्रति मरीज फीस दी जाती थी। शुरुआती दौर में 25 हजार रुपए रेडक्रॉस दिए गए, जो सवा माह चलते थे। इसके बाद 15 हजार रुपए कर दिया गया।
यात्रियों को देना पड़ रहा शुल्क व दवा चार्ज
हालांकि स्टेशनों में यात्रियों को इलाज तो मिल रहा है, लेकिन मरीजों व उनके परिजनों को इलाज के बदले डॉक्टर की फीस व दवाओं का शुल्क देना पड़ रहा है। इस योजना के शुरू होने से देशभर में कटनी शहर का नाम हुआ था और यात्रियों को बड़ी राहत मिल रही थी बावजूद इसके इसे बंद कर दिया गया है। इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे।
जानकारी के अनुसार यात्रियों के इलाज के लिए रिटेल मेडिकल एसोसिएशन द्वारा योजना शुरू होने से लेकर अबतक लगभग एक लाख 85 हजार रुपए दिए जा चुके हैं। पदाधिकारियों ने बताया कि 3 सितंबर 2024 में लास्ट किश्त दी गई थी। इसके बाद गैप हुआ। फरवरी व मार्च माह में भी राशि दी एसोसिएशन द्वारा रेडक्रॉस को दी जा चुकी है। हैरानी की बात तो यह है कि महत्वपूर्ण योजना शुरू की गई, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के ध्यान न दिए जाने से योजना दम तोड़ रही है।
वर्जन
सितंबर तक रिटेल मेडिकल एसोसिएशन द्वारा राशि दी गई है। इसके बाद गैप हो गया था। अब फरवरी व मार्च की राशि रेडक्रॉस में जमा कराई गई है। एसोसिएशन से मिलने वाली राशि को रेडक्रॉस से लगभग डबल कर रेलवे को दी जा रही थी। अब शीघ्र ही योजना को चालू किया जाएगा।
डॉ. यशवंत वर्मा, सिविल सर्जन।
संजय दुबे, स्टेशन प्रबंधक कटनी जंक्शन।
दिलीप यादव, कलेक्टर।