scriptएमपी में ‘किराएदारों’ से भर-भरकर किराया ले रहे ‘मकान-मालिक’, हो सकती है जेल ! | Landlords in MP are taking huge rents from tenants, may be jailed! | Patrika News
भोपाल

एमपी में ‘किराएदारों’ से भर-भरकर किराया ले रहे ‘मकान-मालिक’, हो सकती है जेल !

Mp news: मेट्रोपॉलिटन सिटी की तर्ज पर किराया, लेकिन सुविधाएं कस्बे से भी हैं बदतर……

भोपालMar 09, 2025 / 01:31 pm

Astha Awasthi

Landlords

Landlords

Mp news: एमपी में भोपाल शहर के पॉश इलाको के मकानों में रहे किराएदारों से मकान मालिकों द्वारा किराया मेट्रोपालिटन सिटी की तर्ज पर वसूला जा रहा है, लेकिन सुविधाएं कस्बे से भी बदतर मुहैया कराई जा रही हैं। आलम यह है कि रहवासी इलाकों में माडूलेटेड सुविधाओं के दूर-दूर तक दर्शन नहीं होते हैं। इतना ही नहीं अल्प सुविधाएं और बिना स्पेस तय किये ही मकान मालिकों द्वारा मनमाफिक किराया वसूला रहा है।
डिपोजिट मनी के नाम पर दो से तीन महीने का किराया भी एडवांस में वसूला जा रहा है,लेकिन खाली करने के दौरान डिपॉजिट मनी के वापसी की गारंटी नहीं दी जा रही है और ना ही लॉक-इन-पीरियड की निश्चतता। इसके उलट जब कोई किराएदार बीच में मकान खाली खाली करता है उससे मेंटीनेंस के नाम पर डिपॉजिट मनी से भी कटौती की जा रही है। इसको लेकर प्रशासनिक अधिकारी द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है। मामले में किराएदारों का कहना है कि मॉडल टेनेंसी एक्ट सख्ती के साथ जल्दी से लागू किया जाए। साथ ही आदर्श किराएदारी आयोग का गठन किया जाए जिससे रोजगार और पढ़ाई के लिए राजधानी आए लोगों को राहत मिल सके।

घर की झोपड़ी किराए के मकान से है ज्यादा बेहतर…

-अन्य कई राज्यों में आदर्श किराएदारी आयोग बने हुए हैं मप्र भी बनाया जाना चाहिए जिससे मकान मालिक और किराएदार के बीच उपजे विवाद को सुलझाया जा सके। शिवम पाण्डेय, किराएदार
-किराए का आकलन पॉश एवं नॉन-पॉश कॉलोनियों के अनुसार स्पेस और मकान में उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर हो,जिससे बाजिब किराया ही वसूला जा सके। अभिषेक मिश्रा, किराएदार

-रेंट एग्रीमेंट,डिपॉजिट मनी की वापसी,लॉक-इन-अवधि की निश्चितता को लेकर हमेशा परेशानी बनी रहती है। सुविधाएं कम करने, बिना नोटिस किराया में बढ़ोत्तरी भी सिरदर्द बन रही है। ऋषभ तिवारी, किराएदार
-किराए के मकान में रहते समय किराएदार को मकान मालिकों की मनमानी शर्तों को मानना बाध्यकारी होता है ऐसे में इसके लिए एक सख्त कानून बनाया जाना चाहिए। ज्ञानेंद्र कुमार मिश्रा, किराएदार

ये भी पढ़ें: एमपी में बनेगा 1200 किमी का नर्मदा एक्सप्रेस-वे, इन 11 जिलों से गुजरेगी सड़क

रेंट एग्रीमेंट बनवाने से भी कर रहे हैं परहेज

मकान मालिक स्थानीय पुलिस को किरायेदारों की जानकारी नहीं दे रहे हैं जबकि पुलिस के मुताबिक मकान मालिकों को किरायेदारों की जानकारी एक सप्ताह के अंदर संबंधित थाना या सिटीजन पोर्टल पर देनी अनिवार्य है। जिसके ना देने पर मकान मालिक को जुर्माना और जेल दोनों हो सकती है। बावजूद इसके मकान मालिकों द्वारा ऐसा नहीं किया जाता। बाद में किराएदारों के ऊपर मनमानी शर्त थोपकर मनमाफिक किराया वसूला जाता है।

विवाद की बन रहे वजह

भोपाल शहर में किराए के मकानों में रहे किराएदारों की मानें तो रहवासी इलाकों में सिंगल रूम मिलना काफी मुश्किल हो गया है। अगर किसी को नॉन पॉश कॉलोनियों में 2-बीएचके या 3-बीएचके मकान या फ्लैट किराए पर चाहिए तो उसे डिपॉजिट मनी के साथ 15 से 20 हजार चुकाने होंगे। वहीं,यदि पॉश कॉलोनी हो तो यह राशि बढ़कर डिपॉजिट मनी के साथ 30 से 50 हजार तक भी हो सकती है,लेकिन सुविधाएं स्टैंडर्ड कैटेगरी की नहीं हैं। जो मकान मालिक और किराएदारों के बीच विवाद की बड़ी वजह बन रहे हैं।

Hindi News / Bhopal / एमपी में ‘किराएदारों’ से भर-भरकर किराया ले रहे ‘मकान-मालिक’, हो सकती है जेल !

ट्रेंडिंग वीडियो