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CG Naxal News: मानवता की खातिर… मुठभेड़ में मारे गए अज्ञात नक्सलियों का करते है अंतिम संस्कार

CG Naxal News: कांकेर जिले में उत्तर बस्तर कहा जाने वाला कांकेर अपनी संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर के लिए तो प्रसिद्ध है ही, समाजसेवियों की भी कमी नहीं है।

कांकेरApr 07, 2025 / 04:19 pm

Shradha Jaiswal

CG Naxal News: मानवता की खातिर… मुठभेड़ में मारे गए अज्ञात नक्सलियों का करते है अंतिम संस्कार
CG Naxal News: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में उत्तर बस्तर कहा जाने वाला कांकेर अपनी संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर के लिए तो प्रसिद्ध है ही, समाजसेवियों की भी कमी नहीं है। मुठभेड़ में शहीद पुलिस जवानों के शवों का तो अंतिम संस्कार हो जाता है, लेकिन नक्सलियों के परिवार से कई बार कोई आगे नहीं आता तो उनकी लाशें सड़ने की स्थिति में आ जाती हैं। ऐसे में मानतवा के नाते शहर की जन सहयोग संस्था आगे आई है। यह मुठभेड़ में मारे गए अज्ञाम नक्सलियों की लाश का अंतिम संस्कार करती है।
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CG Naxal News: पुलिस से मंजूरी ताकि बाद में विवाद न हो

संगठन के अध्यक्ष पप्पू मोटवानी बताते हैं कि वे पिछले 20 सालों से लावारिस शवों की अंत्येष्टि अपने खर्च पर कर रहे हैं। उनका यह काम केवल कांकेर तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में वे अपनी सेवाएं देने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक पप्पू और उनके संगठन ने 155 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया है। इनमें 20 नक्सलियों के शव भी शामिल हैं।
इन शवों का अंतिम संस्कार संस्था ने पूरी निष्ठा और बिना किसी सरकारी या निजी चंदे के किया। वे इसे एक मानवीय धर्म मानते हैं, जो किसी भी भेदभाव या डर के सिर्फ मानवता के लिए है। पप्पू ने बताया कि उनका संगठन स्वच्छता, दूध नदी की रक्षा, पौधरोपण, नशाबंदी और गरीबों की मदद जैसी कई सामाजिक पहल भी करती है। हालांकि, उनके संगठन को सबसे ज्यादा लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार की वजह से पहचाना जाता है।

शव देखकर कोई डर नहीं, दुर्गंध के आदी

पप्पू कहते हैं कि हम जो भी करते हैं, वह मानवता के नाते करते हैं। नक्सली भी इंसान हैं। अंत में सभी को मिट्टी में मिलना है। पहले लाशों की दुर्गंध से अजीब लगता था, लेकिन अब हम इसके आदी हो चुके हैं। नक्सलियों के शवों को देखकर कोई भय नहीं होता। मृत्यु के बाद सभी इंसान मिट्टी में समा जाते हैं। पप्पू ने ये भी स्पष्ट किया कि वे ये सेवाएं अपने खर्च पर चला रहे हैं। वे किसी से चंदा नहीं लेते। उन्हें किसी से चंदा चाहिए भी नहीं। शव वाहन की जरूरत पड़ती है तो वे टैक्सी किराए पर ले लेते हैं।
संगठन लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने से पहले पुलिस से लिखित मंजूरी लेती है, ताकि बाद में कोई विवाद न हो। वे न केवल नक्सलियों, बल्कि उन गरीबों का भी अंतिम संस्कार करते हैं जिनके पास पैसे या संसाधन नहीं होते। संगठन का मानना है कि ऐसे जनसेवा के कार्यों से उन्हें संतुष्टि मिलती है। सेवा ही उनके जीवन का उद्देश्य है। पप्पू से पूछा गया कि वे नक्सलियों को क्या संदेश देना चाहेंगे, तो उन्होंने कहा, मैं वे व्यर्थ में किसी की जान न लें। न ही अपनी जान गंवाएं। आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हों। आत्मसम्मान से जीवन जिएं।

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