आसाराम ने मेडिकल कारणों का दिया था हवाला
आसाराम ने मेडिकल कारणों का हवाला देते हुए जमानत अवधि को तीन महीने और बढ़ाए जाने की गुहार के साथ गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।आसाराम ने वकील ने यह दलील दी थी कि चिकित्सकों ने उन्हें 90 दिनों के पंचकर्म थेरेपी के लिए सिफारिश की है। इसलिए अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए।आवेदक अंतरिम जमानत का हकदार
जस्टिस सुपेहिया ने अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश व खंडपीठ के आदेश को देखते हुए उनकी राय यह है कि आवेदक अंतरिम जमानत का हकदार है। 86 वर्षीय वृद्ध व्यक्ति को सिर्फ एक विशेष थेरेपी या मेडिसीन की पद्धति तक सीमित नहीं रखा जा सकता है।इस तरह खंडित फैसला
इससे पहले सुबह खंडपीठ के जज जस्टिस इलेश जे वोरा और जस्टिस संदीप एन भट्ट ने खंडित फैसला दिया। जस्टिस वोरा ने आसाराम को तीन महीने के लिए अंतरिम जमानत दे दी जबकि जस्टिस भट्ट ने याचिका नामंजूर कर दी थी।यह भी पढ़ें