किसान यशपाल ने बताया कि दूसरी फसलों में लागत ज्यादा और मुनाफा कम मिल रहा था। ऐसे में दो साल पहले सरकारी अनुदान पर पॉली हाउस लगाया। जिसमें दो साल से खीरे की फसल उगाई जा रही है। किसान यशपाल की माने तो अन्य फसलों के बजाय पॉली हाउस में सब्जी लगाकर खूब मुनाफा कमाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि वे खीरे की फसल उगाकर सालाना दस लाख रुपए की आमदनी कर रहे हैं। उन्होंने दूसरे किसानों को भी परंपरागत के बजाय आधुनिक तरीके से खेती करने के लिए प्रेरित किया।
किसान ने लगाए 15 लाख रुपए
किसान यशपाल ने सरकारी अनुदान पर पॉली हाउस लगाया। जिस पर करीब 38 लाख 70 हजार रुपए का खर्च आया। किसान को 23 लाख 63 हजार का अनुदान मिल गया। वहीं करीब 15 लाख रुपए खुद ने खर्च किए। पॉली हाउस काफी मजबूत और टिकाऊ होने के कारण आंधी-तूफान का भी ज्यादा असर नहीं होता। बरसात के पानी से पैदावार
पॉली हाउस में फसल उगाने के लिए भूजल की जरूरत नहीं होती। किसान यशपाल ने बताया कि बरसात के मौसम में पॉली हाउस से ही पानी को डिग्गी एकत्र कर लिया जाता है। जो कि सालभर ड्रिप सिस्टम से फसलों में दिया जाता है। किसान ने पॉली हाउस के पास ही कच्ची डिग्गी का निर्माण भी कर रखा है। पास ही ड्रिप सिस्टम भी लगाकर फसल में पानी दिया जाता है।
फसलों में पानी की जरूरत कम
पॉली हाउस में उगी फसलों में पानी की जरूरत बहुत ही कम होती है। किसान ने बताया कि दो साल से खीरे की फसल उगाई जा रही है। जिसमें हर दूसरे दिन महज 15 मिनट के लिए पानी दिया जाता है। पॉली हाउस के कारण पानी की डिमांड कम होने के साथ ही फसलों में रोग-कीट भी नहीं लगते। दवा का छिड़काव करने में भी आसानी रहती है।
साल में दो बार होती फसलें
पॉली हाउस में साल में दो बार फसलें ली जाती है। किसान यशपाल ने बताया कि जनवरी में खीरा लगाया था। जो कि मार्च के प्रथम सप्ताह में तैयार हो गया। वहीं जुलाई में उगी फसल से महज 35 दिन में पैदावार मिलने लग जाती है। सर्दी की फसल 150 दिन तथा गर्मी की 120 दिन तक चलती है। सर्दी के बजाय गर्मी की फसल के ज्यादा भाव मिलते हैं।