श्रद्धालु समाधि स्थल तक, पैनोरमा तक नहीं
रामदेवरा हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनता है। खासकर भादवा मेले के दौरान यह संख्या 50 से 60 लाख तक पहुंच जाती है। इसके बावजूद, बाबा रामदेव के जीवन पर आधारित पैनोरमा तक पूरे साल में सिर्फ हजारों लोग ही पहुंचते हैं। समाधि स्थल और आसपास पैनोरमा की जानकारी देने वाला कोई सूचना बोर्ड नहीं लगा है, जिससे अधिकतर श्रद्धालुओं को इसके अस्तित्व की जानकारी ही नहीं होती। समाधि दर्शन के बाद श्रद्धालु पर्चा बावड़ी, रामसरोवर, रुणिचा कुआं, पंच पीपली और पोकरण भ्रमण कर लौट जाते हैं, जबकि पैनोरमा उनके लिए अज्ञात ही बना रहता है। रामदेवरा-पोकरण मार्ग पर आइटी केंद्र के सामने खसरा संख्या 195 में 10 बीघा भूमि पर इस पैनोरमा का निर्माण किया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 30 नवंबर 2015 को इसका भूमि पूजन किया और 3 सितंबर 2017 को लोकार्पण किया।उपेक्षा से उबारने के लिए यह हो प्रयास
- समाधि स्थल और मुख्य मार्गों पर पैनोरमा की जानकारी देने वाले सूचना बोर्ड लगाए जाएं।
- सोशल मीडिया और अन्य प्रचार माध्यमों से व्यापक प्रचार किया जाए।
-भादवा मेले के दौरान श्रद्धालुओं को जागरूक करने के लिए विशेष सूचना केंद्र स्थापित किए जाएं।
प्रचार प्रसार की कमी
प्रचार-प्रसार की कमी के कारण श्रद्धालु पैनोरमा तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। यदि व्यापक स्तर पर प्रचार किया जाए तो यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में निश्चित रूप से वृद्धि हो सकती है।- आइरख सिंह तंवर, बाबा रामदेव के वंशज
तैयार करेंगे कार्ययोजना
-ओकारसिंह लखावत, अध्यक्ष, राजस्थान राज्य धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण