Maharana Sanga Controversy: वीर शिरोमणि महाराणा सांगा को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन (MP Ramji Lal Suman) द्वारा की गई विवादित टिप्पणी के बाद प्रदेश में सियासी घमासान मच गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दिया कुमारी सहित कांग्रेस के बड़े नेताओं ने कड़ा विरोध किया है। इस बीच शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी (Ravindra Singh Bhati) ने सरकार से मांग करता हूं कि राष्ट्र नायकों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्य देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि प्रातः स्मरणीय, वीर शिरोमणि महाराणा सांगा केवल एक महान योद्धा नहीं, बल्कि साहस, स्वाभिमान और अदम्य पराक्रम के प्रतीक थे। उनकी वीरता ऐसी थी कि अनेकों घाव सहने के बावजूद उनका हौसला कभी नहीं टूटा। एक भुजा, एक आँख और एक टांग खोने के बाद भी वे युद्धभूमि में पूरी दृढ़ता से डटे रहे। उनके शरीर पर युद्ध के दौरान 80 से अधिक घावों के निशान थे, इसीलिए उन्हें “सैनिकों का भग्नावशेष” कहा जाता था।
विधायक भाटी ने लिखा कि महाराणा सांगा का चरित्र केवल वीरता तक सीमित नहीं था वे न्यायप्रिय और उदार शासक भी थे। इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब उन्होंने सुल्तान मोहम्मद शाह माण्डु को युद्ध में पराजित कर बंदी बनाया, लेकिन अपनी विशाल हृदयता का परिचय देते हुए उसका राज्य उसे लौटा दिया। यह उनकी नीति, नैतिकता और नेतृत्व क्षमता को दर्शाता था।
बाबर ने खुद स्वीकार किया- सांगा सबसे वीर शासक
साथ ही उन्होंने बाहरी आक्रांताओं के विरुद्ध कड़ा प्रतिरोध किया और अपनी सैन्य कुशलता से कई निर्णायक युद्ध लड़े। बाबर जैसे आक्रांता को चुनौती देने का साहस भी केवल महाराणा सांगा में था। बाबर ने अपनी आत्मकथा में भी स्वीकार किया है कि – “राणा सांगा भारत के सबसे वीर शासक है और उन्होंने अपनी वीरता और तलवार के बल पर ये गौरव प्राप्त किया है।”
रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि महाराणा सांगा की नेतृत्व क्षमता और पराक्रम ने उन्हें एक महान योद्धा के रूप में अमर बना दिया। खानवा के युद्ध में गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद उन्होंने अपने शौर्य से आक्रांताओं की बढ़ती शक्ति को चुनौती दी। उनका लक्ष्य केवल अपने धरा की रक्षा करना नहीं था, बल्कि बाहरी आक्रमणकारियों को रोककर स्वाभिमान और स्वतंत्रता को बनाए रखना भी था।
प्रातः स्मरणीय, वीर शिरोमणि महाराणा सांगा केवल एक महान योद्धा नहीं, बल्कि साहस, स्वाभिमान और अदम्य पराक्रम के प्रतीक थे। उनकी वीरता ऐसी थी कि अनेकों घाव सहने के बावजूद उनका हौसला कभी नहीं टूटा। एक भुजा, एक आँख और एक टांग खोने के बाद भी वे युद्धभूमि में पूरी दृढ़ता से डटे रहे।…
— Ravindra Singh Bhati (@RavindraBhati__) March 22, 2025
बलिदान और साहस का अपमान- भाटी
महाराणा सांगा जी जैसे महान व्यक्तित्व पर अपमानजनक टिप्पणी करना न केवल एक वीर योद्धा का अपमान है, बल्कि इतिहास में दर्ज उनके बलिदान और साहस का भी अपमान है। ऐसे महापुरुषों की गौरवशाली गाथा आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि राष्ट्र नायकों की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाले गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्य देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी हमारे महापुरुषों के सम्मान को ठेस पहुंचाने का दुस्साहस न कर सके।
सांसद रामजी लाल के बाद उपजा विवाद
बता दें कि समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने शनिवार को राज्यसभा में कहा था कि ‘बीजेपी के लोगों का ये तकियाकलाम बन गया है कि इनमें बाबर का DNA है। मैं जानना चाहूंगा कि बाबर को आखिर लाया कौन? इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को राणा सांगा लाया था। मुसलमान अगर बाबर की औलाद हैं तो तुम लोग उस गद्दार राणा सांगा की औलाद हो, ये हिन्दुस्तान में तय हो जाना चाहिए कि बाबर की आलोचना करते हो, लेकिन राणा सांगा की आलोचना नहीं करते।