यह होती है प्रक्रिया
केंद्रीय सहकारी बैंक की ओर से सर्वे के बाद प्रस्ताव लिया जाता है। प्रस्ताव का जिला सहकारी विकास समिति की बैठक में अनुमोदन होता है। यह बैठक कलक्टर की अध्यक्षता में होती है। फिर विभागीय स्वीकृति ली जाती है। इसके बाद गठन का प्रक्रिया शुरू होती है। कार्यकारी प्रबंध कार्यकारिणी का गठन किया जाता है। इसका पंजीयन कराया जाता है। इसके बाद लैम्पस कार्य करने के लिए स्वतंत्र है।जनजाति अंचल में मिलती है रियायत
लैम्पस गठन के लिए 300 मेंबर की जरूरत होती है। पर सरकार ने आदिवासी क्षेत्र के लिए 150 की सीमा तय है। इसके साथ ही हिस्सा राशि 3 लाख के स्थान पर 1.5 लाख की गई है। जबकि, अमानत राशि 75 हजार के स्थान पर मात्र 50 हजार रुपए निर्धारित है।राजस्थान में ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव हो सकते हैं निरस्त, कलक्टरों को जारी किए गए निर्देश, जानें क्यों
लैम्पस एक मिनी बैंक के रूप में कार्य करते हैं
पड़ोस के राज्य उत्तरप्रदेश में लेप्स एक मिनी बैंक के रूप में कार्य करते हैं। यहां राशन का वितरण के साथ ही अपनी फसल तक लैम्पस के जरिए बेच सकते हैं। समय-समय पर खाद और बीज भी लेप्स के जरिए उपलब्ध कराया जाता है। राजस्थान में भी सहकार गतिविधियों को बढ़ाने के लिए समितियों का गठन हुआ।Gold New Rate : अक्षय तृतीया से पहले सोने की नई कीमत सुनकर ग्राहक सदमे में, व्यापारी-एक्सपर्ट खामोश, जानें सोने का रेट
सभी ग्राम पंचायतों के अपने लेप्स होंगे
सरकार ने बीते वित्तीय वर्ष में 60 लैम्पस गठन के आदेश दिए थे, इसके बाद 92 और आने वाले वर्ष में 93 का आदेश है। किसानों के काम उनके क्षेत्र में हो सकें, इसके लिए लैम्पस गठन किया जाता है। दो साल में सभी ग्राम पंचायतों में स्वयं के लैम्पस होंगे।योगेंद्र सिंह सिसोदिया, जिला उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, बांसवाड़ा