शुक्रवार को विधानसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने इस संबंध में कहा कि यह एक नीतिगत निर्णय है, इन बोर्डों पर सरकार आने वाले समय में विचार करेगी। फिलहाल इन्हें चालू करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इस बयान के बाद इन बोर्डों के भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
विधानसभा में सवाल और मंत्री का जवाब
कांग्रेस विधायक सीएल प्रेमी ने विधानसभा में सवाल किया कि क्या सरकार गहलोत सरकार के बनाए गए बोर्डों को चालू करेगी? क्या इनमें नियुक्तियां की जाएंगी और बजट जारी होगा? इसके जवाब में मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा कि पूर्व सरकार में 36 नए बोर्ड और आयोग गठित किए गए थे। फिलहाल केवल देवनारायण बोर्ड और राज्य एससी-एसटी वित्त विकास निगम में अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं और इन्हें बजट आवंटित हुआ है। बाकी बोर्डों को लेकर सरकार विचार कर रही है, लेकिन अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।
गहलोत सरकार में बने थे कई बोर्ड
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले विभिन्न समाजों को साधने के लिए सोशल इंजीनियरिंग के तहत बड़े पैमाने पर बोर्ड और आयोगों का गठन किया था। बताते चलें कि चुनाव से केवल छह महीने पहले ही 20 से अधिक बोर्ड बनाए गए थे। गहलोत सरकार के कार्यकाल में कुल 36 बोर्ड गठित किए गए। इनमें से कई बोर्डों में अध्यक्षों की नियुक्ति चुनाव से पहले की गई थी। अब नई सरकार इन बोर्डों को जारी रखने या बंद करने को लेकर असमंजस में है।
क्या अब ये बोर्ड बंद होंगे?
गौरतलब है कि भजनलाल सरकार की ओर से फिलहाल किसी भी बोर्ड के संचालन को लेकर स्पष्ट रुख नहीं दिख रहा है। मंत्री के जवाब से यह स्पष्ट है कि सरकार इन बोर्डों को चालू करने के मूड में नहीं है। अगर बजट आवंटन नहीं होता और नियुक्तियां नहीं की जातीं, तो ये बोर्ड स्वतः निष्क्रिय हो जाएंगे। वर्तमान में इन बोर्डों का भविष्य अधर में है।