सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार द्वारा दिव्यांगों को 30 जून, 2016 से पदोन्नति में 4 प्रतिशत नोशनल आरक्षण का लाभ देने का प्रकरण प्रक्रियाधीन है। वित्त विभाग के निर्देशों के अनुसार इस आरक्षण से पड़ने वाले आर्थिक भार के संबंध में सभी विभागों को पत्र लिखकर जानकारी संकलित की जा रही है। उन्होंने कहा कि आर्थिक भार की गणना पूरी होने के बाद राज्य सरकार द्वारा नीतिगत फैसला लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना में दिव्यांगों को पदोन्नति में 4 प्रतिशत नोशनल आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस सम्बन्ध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि दिव्यांगता अधिकार अधिनियम 2016 के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर प्रदेश में भी दिव्यांगों को पदोन्नति में 4 प्रतिशत नोशनल आरक्षण देने का प्रावधान किया गया। सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों की पालना में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, केंद्र सरकार द्वारा 30 जून, 2016 से दिव्यांगों को पदोन्नति में इस आरक्षण का लाभ देने के लिए 28 दिसम्बर, 2023 को कार्यालय ज्ञापन जारी किया गया।
उन्होंने जानकारी दी कि केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2016 से पहले दिव्यांगता की 7 श्रेणियाँ निर्धारित थी। दिव्यांगता अधिकार अधिनियम 2016 के तहत दिव्यांगता की श्रेणियों को बढ़ाकर 21 कर दिया गया। इससे पहले विधायक फूल सिंह मीणा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि राजस्थान में राजस्थान दिव्यांगजन अधिकार (संशोधन) नियम, 2021 के तहत 21 अक्टूबर, 2021 से दिव्यांगजनों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिया गया है। उन्होंने बताया की कार्मिक विभाग द्वारा सीधी भर्ती और पदोन्नति में दिव्यांगजनों को आरक्षण देने के संबंध में परिपत्र 1 दिसम्बर 2021 एवं संशोधित परिपत्र 10 अगस्त, 2022 को जारी किया गया।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, केंद्र सरकार द्वारा दिव्यांगजनों को पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में 28 दिसम्बर, 2023 को जारी कार्यालय ज्ञापन का विवरण भी उन्होंने सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार की तर्ज पर राजस्थान राज्य में भी दिव्यांगजनों को 2016 से काल्पनिक पदोन्नति देने के संबंध में विभाग में प्रस्ताव परीक्षणाधीन है।