‘अपने समय में किए परिसीमन को याद करें’
मीडिया से बातचीत के दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने डोटासरा के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि डोटासरा जी देखते रहेंगे और जल्द ही देश में एक साथ चुनाव होंगे। वे पहले अपने कार्यकाल में किए गए परिसीमन को देखें, जहां एक वार्ड में 500 और दूसरे में 3,000 की जनसंख्या थी। उन्होंने आगे कहा कि राजनीतिक नियुक्तियां मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होती हैं। प्रदेश संगठन की टीम राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद बनेगी और राष्ट्रीय नेतृत्व की राय से ही टीम का गठन किया जाएगा।
वहीं, वन नेशन वन इलेक्शन विषय पर बीजेपी की बैठक में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि सुनील बंसल ने यूपी में बीजेपी को सफलता दिलाई है, यूपी संगठन महामंत्री के तौर पर काम किया। लगातार तीन बार मोदी जी को जिताने का काम इन्होंने किया, अब एक राष्ट्र एक चुनाव अभियान से जुड़े है।
डोटासरा ने बीजेपी पर लगाए थे गंभीर आरोप
दरअसल, डोटासरा ने कहा था कि सरकार कांग्रेस के वोट वाले वार्डों को बड़ा और अपने समर्थक वार्डों को छोटा कर रही है। डोटासरा ने कहा कि अपनी सुविधानुसार गांवों की सीमाओं को तोड़ा-फोड़ा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के स्तर पर बनी कैबिनेट कमेटी के बजाय बीजेपी और आरएसएस की एक अघोषित कमेटी परिसीमन के फैसले कर रही है। उन्होंने दावा किया कि राजेंद्र राठौड़, घनश्याम तिवाड़ी और अरुण चतुर्वेदी इस अघोषित कमेटी में शामिल हैं और ये पंचायती राज अधिकारियों को डांट-फटकार कर अपने अनुसार परिसीमन करवा रहे हैं।
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ देश की जरूरत
वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर बैठक में बीजेपी राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने कहा कि भारत में बार-बार होने वाले चुनावों से शासन व्यवस्था प्रभावित होती है, विकास कार्यों में देरी होती है और सरकारी खर्च बढ़ता है। उन्होंने कहा कि भारत में करीब 96 करोड़ वोटर हैं, निष्पक्ष चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती है। विपक्ष हारने के बाद अक्सर EVM पर सवाल उठाता है, लेकिन पिछले 30 वर्षों में चुनावी सुधार हुए हैं। उन्होंने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन से चुनावी खर्च में भारी कमी आएगी और प्रशासनिक कामकाज में सुधार होगा।
बार-बार चुनाव से विकास में बाधा- सुनील बंसल
बंसल ने कहा कि भारत में चुनाव आचार संहिता लागू होने से सरकारी कामकाज बाधित होता है। हर साल 300 से ज्यादा वर्किंग डेज प्रभावित होते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मुलायम सिंह के शासनकाल में एक फ्लाईओवर बनने में 10 साल लग गए, लेकिन नरेंद्र मोदी जब सांसद बने तो छह महीने में पुल पूरा करवा दिया। बार-बार चुनाव होने से गुड गवर्नेंस प्रभावित होती है और विकास की गति धीमी हो जाती है।
वन नेशन, वन इलेक्शन से 5 लाख करोड़ बचेंगे
बैठक में बताया गया कि एक वोट डालने का खर्च 1,400 रुपये आता है, जबकि एक चुनाव पर सरकार को करीब 5 लाख करोड़ रुपये का खर्च करना पड़ता है। यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो यह पैसा बचाया जा सकता है और विकास कार्यों में लगाया जा सकता है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने सुझाव दिया है कि 100 दिनों में सभी चुनाव संपन्न कराए जा सकते हैं, जिससे राजनीति कम होगी और देश को नीति-निर्माण में स्थिरता मिलेगी।