बैठक में यह जानकारी सामने आई कि सरस वाइट बटर की बिक्री में 757 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। इसी प्रकार स्वीट्स की बिक्री में 38 प्रतिशत, घी में 21 प्रतिशत, फ्लेवर्ड मिल्क में 20 प्रतिशत और फ्रेश प्रोडक्ट्स की बिक्री में 18 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। कुल मिलाकर आरसीडीएफ और उससे जुड़े संघों ने इस वित्तीय वर्ष में 400 करोड़ रुपए से अधिक का लाभ अर्जित किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 34 प्रतिशत अधिक है।
इस प्रगति के पीछे ‘सरस अमृतम अभियान’ जैसे नवाचारों का अहम योगदान रहा है, जिसके तहत राज्यभर में दुग्ध की गुणवत्ता की जांच के लिए मोबाईल वैन और औचक निरीक्षणों का सिलसिला जारी है। अब तक 9182 नमूने एकत्र कर 5820 निरीक्षण किए जा चुके हैं।
साथ ही, “दूध का दूध पानी का पानी” अभियान के जरिए उपभोक्ताओं में जागरूकता फैलाते हुए 15060 सैंपलों की निःशुल्क जांच की गई है।राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई सरस स्वरोजगार योजना 2024 के तहत अब तक 12265 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 8250 को मंजूरी दी गई है। इस योजना ने युवाओं, महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों के लिए स्वरोजगार के नए द्वार खोले हैं।
“एक जिला एक डेयरी उत्पाद” स्कीम बनी मिसाल
दीपावली के अवसर पर “एक जिला एक डेयरी उत्पाद” की तर्ज पर 125 मीट्रिक टन से अधिक मिठाइयों की राज्यभर में एकसाथ बिक्री, एक मिसाल बन गई। उपभोक्ताओं में अलवर का मिल्क केक और बीकानेर की सोनपापड़ी को विशेष पसंद किया गया।इस तरह, राजस्थान में डेयरी उद्योग सिर्फ दुग्ध उत्पादन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में एक मज़बूत स्तंभ के रूप में उभर रहा है।