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– एमपी में तेज आंधी-बारिश का यलो अलर्ट जारी, दो साइक्लोनिक सिस्टम बिगाड़ेगा मौसम डॉक्टर्स के अनुसार, यह एक दुर्लभ नर्वस सिस्टम से संबंधित बीमारी होती है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है। इसके कारण तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्न होना या कभी-कभी लकवा भी हो सकता है। इस सिंड्रोम की शुरुआत आमतौर पर एक इन्फेक्शन जैसे वायरल फीवर, लू या गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन से होती है।
मुख्य लक्षण(Guillain-Barré Syndrome)
- मांसपेशियों में कमजोरी
- सुन्न या झंकार महसूस होना
- चलने में समस्या
- सांस लेने में कठिनाई
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पांच-छह सप्ताह से पहुंच रहे मरीज
एमवायएच की मेडिसिन विभाग की ओपीडी में पिछले पांच से छह माह से ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं। मेडिसिन विभाग के डॉ. अशोक ठाकुर ने बताया, विशेषकर ऋतु परिवर्तन के दौरान यह संया अधिक देखते में आ रही है। इसमें बारिश से ठंडी के बीच का समय व ठंड से गर्मी के बीच या वायरल फीवर के केस बढ़ने की स्थिति शामिल है। एक साथ कई मरीज आए हों, ऐसी स्थिति नहीं है। एक सप्ताह में दो से तीन मरीज पहुंच रहे हैं।
वेंटिलेटर पर भी रखने की बनी स्थिति
एमवायएच में जांच के बाद स्थिति का पता चल रहा है, जिसके बाद कई मरीजों को कुछ समय के लिए आइसीयू या वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ा। हालांकि कुछ दिन बाद यह ठीक भी हुए हैं। शुरुआती पहले सप्ताह में मरीज की स्थिति गंभीर रहती है। दूसरे व तीसरे सप्ताह में यह ठीक होने लगते हैं। इसके कुछ वेरिएंट भी जांच के दौरान मिले हैं।
पैरों के माध्यम से होता है प्रभाव
डॉक्टर्स के अनुसार, इस बीमारी(Guillain-Barré Syndrome) में पैर के माध्यम से प्रभाव मालूम होता है। यह पैर की कमजोरी से प्रारंभ होती है। फिर हाथों की कमजोरी, श्वास लेने की क्षमता को प्रभावित करता है। इसके बाद खाना निगलने व बोलने में भी परेशानी होती है। लापरवाही करने पर यह गंभीर स्थिति तक पहुंच जाता है। गुइलैन-बैरे सिंड्रोम(Guillain-Barré Syndrome) दुर्लभ नर्वस सिस्टम से संबंधित बीमारी है। इसके मरीज एमवायएच पहुंचे हैं। यह बीमारी एपायलो वैक्टर जेजेनी बैक्टीरिया के कारण होती है। इसके लिए नस संबंधित जांच कराई जाती है। इसमें कौन सा भाग प्रभावित है, यह देखा जाता है। इसके अलावा धड़कन, ब्लड प्रेशर की स्थिति में भी बदलाव होता है। जीबीएस के जितने मरीज आ रहे हैं उन्हें उपचार मिल रहा है, जिससे यह ठीक हुए हैं। समय पर उपचार मिलने पर यह बीमारी घातक नहीं होती है। – डॉ. मोनिका पोरवाल बागुल, न्यूरोलॉजिस्ट, एमजीएम