मौसम परिवर्तन की समस्या का देसी बीज है समाधान-मानसून बीज मेले का उद्घाटन-जिला पंचायत योजना निदेशक बी.एस. मूगनूरुमठ ने कहा[typography_font:14pt;” >धारवाड़-हुब्बल्लीजिला पंचायत योजना निदेशक बी.एस. मूगनूरुमठ ने कहा है कि मौसम परिवर्तन की समस्या के लिए देसी बीज कृषि क्षेत्र के लिए वैकल्पिक समाधान है। वे धारवाड़ में शनिवार को देसी बीज विविधता महत्व संबंधित किसान तथा उपभोक्ताओं में जागरूकता पैदा करने के लिए सहज समृद्ध संस्था ने पीपल फस्ट फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में देसी दुकान परिसर में आयोजित दो दिवसीय मानसून बीज मेले का उद्घाटन कर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि के लिए बेहद जरूरी देसी बुवाई के बीजों को हजारों वर्षों से उपयोग में लेते आए हैं। विविध विशेषताओं वाले इन पारम्परिक देसी बुवाई के बीजों का संरक्षण करना चाहिए। कुछ दशक पूर्व देखे गए बैगन के देसी प्रकारों को उपयोग किया गया है। कृषि विश्वविद्यालय के ज्वार अनुसंधान योजना प्रमुख डॉ. एन.जी. हनुमरट्टी ने पिछले दो दशकों से विश्वविद्यालय स्तर में चल रहे देसी धान संरक्षण को संबंधित विस्तृत जानकारी दी। धारवाड़ जिले में बारिश पर आधारित धान के प्रकार काफी थे। उन्हें किसानों ने उत्पादन करने में उदासीनता दर्शाई तो वे सभी लापता होगए। अब उन्हें फिर से अधिक मात्रा में उत्पादित कर किसानों को दिए गए हैं। कृषि विभाग के सहायक निदेशक चन्नप्पा अंगडी ने कहा कि देसी बीजों का संरक्षण प्राथमिकता के आधार पर करने का कार्य सहज समृद्ध संस्था की ओर से किया जा रहा है। आगामी दिनों में विभाग की ओर से एसे कार्यक्रमों को तैयार किया जाएगा। किसान केवल हाइब्रिड किस्मों पर निर्भर ना होकर मौसम समस्या के समाधान वाले अनाज को उगाने का कार्य करना चाहिए। समारोह की अध्यक्षता कर पीपल फस्ट फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. प्रकाश भट ने कहा कि कृषि संस्कृति की जान कहेजाने वाले पारम्परिक बीज संपत्ति को खतरा पैदा हुआ है। इससे उपजे कृषि समस्या का सामना करने के लिए देसी किस्मों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। मत्तिगट्टी विनायक स्वयं सेवी संघ की अध्यक्ष रत्ना होसल्ली ने कहा कि कुंदगोल क्षेत्र में समुदाय बीज बैंक स्थापित कर सैकड़ों एकड़ में देसी किस्मों को उगाने के लिए कार्रवाई की है। इस वर्ष में तीन लाख रुपए के बुवाई के बीज वितरित किए गए हैं। पहले एकल-फसल विधान से नष्ट का सामना किया है। अब देसी कृषि पद्घति से बहुफसल मिलती है। यह किसान परिवारों को आय तथा पोषकांश सुरक्षा दी है। देसी धारवाड़ की संचालक सुनंदा भट आदि उपस्थित थे। शांत कुमार सी. ने कार्यक्रम का संचालन किया। मृत्युंजय रामजी स्वागत कर अंत में आभार व्यक्त किया। दो दिवसीय इस बीज मेले में दस से अधिक बीज संरक्षकों के समूहों ने भाग लिया। विविध देसी किस्मों को प्रदर्शित किया जा रहा है। देसी अनाज, सब्जी, फल आदि का प्रदर्शन किया जा रहा है। गुणवत्तायुक्त धान, अनाज तथा सब्जी के बीज बिक्री के लिए उपलब्ध है। किसान वैज्ञानिकों की ओर से विकसित धान के किस्मों की बिक्री चल रही है।…………………………………………