समाज के लिए बाल विवाह एक गंभीर समस्या-जिलाधिकारी डॉ. सेल्वमणी ने अधिकारियों को दिए निर्देश[typography_font:14pt;” >शिवमोग्गाजिलाधिकारी डॉ. सेल्वमणी ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि जिले के शिवमोग्गा तथा भद्रावती तालुक के कुछ ग्रामों में बाल विवाह के मामले सामने आए हैं जो चिंता का विषय है। उसके नियंत्रण के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग समेत संबंधित विभाग के अधिकारियों को समय पर कार्रवाई करनी चाहिए। वे शिवमोग्गा में जिलाधिकारी कार्यालय सभा भवन में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से क्रियान्वयन किए जा रहे विभिन्न योजनाओं के जिला समन्वय समिति की बैठक की अध्यक्षता कर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि बाल विवाह संबंधित जनता में जागरूकता पैदा करने के लिए विविध कार्यक्रम तैयार कर क्रियान्वयन करना चाहिए। एक सप्ताह में जिले में दर्ज हुए बाल विवाह प्रकरणों की समग्र जानकारी देनी चाहिए। बाल विवाह के लिए बढ़ावा देने वालों के खिलाफ भी मामला दर्ज करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिकारिपुर तालुक केन्द्र में बच्चों का देखरेख केन्द्र स्थगित हुआ है। उस केन्द्र को फिर से शुरू कर आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करने के लिए जिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अधिकारियों को निर्देश दिए। कुपोषित बच्चों के लिए स्वास्थ्य जांच तथा उपचार के लिए तालुक स्वास्थ्य केन्द्र में कम से कम 5 बिस्तर आरक्षित करने चाहिए। उन्होंने कहा कि शहर में कार्यरत राज्य महिला छात्रावास में बेसहारा महिलाओं की देखरेख तथा पुनर्वास प्राप्त कर रहीं मानसिक अस्वस्थ महिलाओं के स्वास्थ्य जांच के लिए तथा जिले के बेघर महिलाओं के लिए आश्रय स्थलों को जिले के चिकित्सा अधीक्षक समेत मनोरोग चिकित्सक समय समय पर दौरा कर रिपोर्ट देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं में विशेष रूप से गर्भवती एवं जच्चाओं में दिखाई देने वाले कुपोषण तथा रक्त की कमी की रोकथाम के उद्देश्य से गर्भवती एवं जच्चाओं को आंशिक मुआवजा उपलब्ध करने के लिए केन्द्र सरकार की ओर से जारी की गई मातृवंदना योजना का व्यवस्थित क्रियान्वयन की ओर संबंधित अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि गैर सरकारी भवनों में चल रहे आंगनबाडी केन्द्रों के लिए स्थाई भवन निर्माण के लिए सकाल में सरकार की ओर से अनुदान मंजूर नहीं होने से समस्या हो रही है। राशि मंजूर होते ही भवन निर्माण के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने और व्यावसायिक यौन शोषण के शिकार लोगों की रक्षा के लिए, तथा उनके पुनर्वास की व्यवस्था की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। दहेज निषेध कानून के तहत दायर प्रकरण तथा बच्चों का यौवन शोषण और पारिवारिक प्रताडऩ के तहत दर्ज मामलों का तुरंत निपटारा करने की दिशा में पुलिस को तेज कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बाल न्याय मंडल में दाखिल त्वरित रूप से प्रकरणों का निपटारा करने के लिए प्रकरण की तारीख के दिन गवाहों के अनुपस्थित रहने को गंभीरता से लेते हुए समय पर गवाही नहीं देने वाले व्यक्तियों को न्यायालय लाने के लिए वारंट जारी करना चाहिए। बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी मेग्गान अस्पताल के अधीक्षक डॉ. श्रीधर, जिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अधिकारी डॉ. राजेश सुरगिहल्ली, सीडीपीओ चन्द्रप्पा समेत जिले के सभी तालुकों के शिशु विकास योजना अधिकारी, विविध विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी आदि उपस्थित थे।…………………………………………………….