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Cancer: यूपी, बिहार सहित इन राज्यों में कैंसर अधिक, जानिए कैंसर के लक्षण और रोकने के शुरुआती उपाय

Cancer: तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खान-पान की वजह से भारत में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन यूपी, बिहार और कुछ अन्य राज्यों में यह बीमारी और भी गंभीर होती जा रही है। आइए जानते हैं कैंसर के शुरुआती लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में।

भारतMar 23, 2025 / 11:35 am

MEGHA ROY

Cancer Patients in India

Cancer Patients in India

Cancer: आजकल की बदलती लाइफस्टाइल और अस्वस्थ खान-पान की वजह से देशभर में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। भारत में भी कैंसर से पीड़ित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। खासकर यूपी, बिहार जैसे राज्यों में यह बीमारी बाकी जगहों की तुलना में अधिक देखने को मिल रही है। अक्सर लोग कैंसर के शुरुआती लक्षणों की सही जानकारी नहीं होने के कारण उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे समय पर इसका पता नहीं चल पाता। तो आइए जानते हैं कैंसर के शुरुआती लक्षण और इसे रोकने के लिए क्या जरूरी कदम उठाने चाहिए।

भारत में कैंसर की स्थिति | Cancer Patients in India

भारत में कैंसर(Cancer) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, हर साल प्रति 1 लाख लोगों में से लगभग 100 लोग कैंसर से पीड़ित पाए जाते हैं।

भारत के इन 5 राज्यों में सबसे अधिक कैंसर के मामले

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) – राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (NCRP) के आंकड़ों के अनुसार, भारत के पांच राज्यों में कैंसर (Cancer) के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
क्रमांकराज्यकैंसर के कुल मामले
1उत्तर प्रदेश2,10,958
2महाराष्ट्र1,21,717
3पश्चिम बंगाल1,13,581
4बिहार1,09,274
5तमिलनाडु93,536

कैंसर बना दुनियाभर में मौत का एक बड़ा कारण

कैंसर दुनियाभर में मौत का एक प्रमुख कारण बन गया है। उम्र बढ़ने, बदलती जीवनशैली और पर्यावरणीय प्रभावों के कारण यह बीमारी तेजी से फैल रही है। अनुमान है कि 2050 तक कैंसर के मामलों में 77% की बढ़ोतरी होगी, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं और समाज पर भारी दबाव पड़ेगा।

भारत में कैंसर के बढ़ते आंकड़े

वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में कैंसर के मामलों और इससे होने वाली मौतों की संख्या में लगातार वृद्धि हो सकती है। अनुमान के अनुसार, साल 2022 से 2050 तक कैंसर से मृत्यु दर 64.7 से बढ़कर 109.6 तक पहुंच सकती है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने चेतावनी दी है कि भविष्य में भारत को कैंसर की रोकथाम और नियंत्रण को लेकर गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

अगर कैंसर के ये लक्षण दिखें, तो तुरंत सतर्क हो जाएं

नई गांठ या उभार, या पहले से बनी गांठ का आकार या रूप बदलना।

बिना वजह वजन कम होना ।

शरीर के किसी भी हिस्से से असामान्य रूप से खून निकलना।

बिना किसी कारण शरीर पर चोट या नीले निशान पड़ना।

लगातार या बिना वजह दर्द रहना ।

शौच या पेशाब की आदतों में बदलाव आना।

नया या लगातार रहने वाली खांसी की समस्या।

त्वचा में बदलाव: तिल (मोल) का आकार या रंग बदलना, आंखों या उंगलियों का पीला पड़ना (पीलिया)।

चबाने, निगलने या जीभ हिलाने में दिक्कत होना लगातार थकान महसूस होना या बिना कारण कमजोरी आना ।

रात में अधिक पसीना आना ।

बार-बार बुखार आना ।
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कैंसर की जांच: कब और कैसे कराएं?

फेफड़ों के कैंसर (LUNG CANCER): फेफड़ों के कैंसर की जांच के लिए लो-डोज सीटी स्कैन (LDCT) एक प्रभावी तरीका है। यदि कोई व्यक्ति रोजाना 20 या उससे अधिक सिगरेट पीता है, तो उसे हर साल LDCT स्कैन कराना चाहिए।
मुंह के कैंसर (ORAL CANCER): मुंह के कैंसर की जांच के लिए क्लिनिकल ओरल एग्जामिनेशन जरूरी होता है। तंबाकू का सेवन करने वाले और न करने वाले दोनों को साल में एक बार मौखिक जांच करानी चाहिए। यदि मुंह के अंदर किसी प्रकार का घाव (lesion) दिखाई देता है, तो ब्रश बायोप्सी की जा सकती है, जिससे कैंसर की पुष्टि हो सके।
गर्भाशय ग्रीवा (CERVICAL CANCER): गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर और HPV डीएनए टेस्टिंग की जाती है। 21 साल की उम्र के बाद हर 3 साल में पैप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए, जो 65 साल की उम्र तक जारी रह सकता है। HPV डीएनए टेस्टिंग 30 साल की उम्र के बाद हर 5 साल में कराई जानी चाहिए। 30 साल से पहले इस टेस्ट की जरूरत नहीं होती, क्योंकि इस उम्र में शरीर में मौजूद वायरस बिना किसी इलाज के खुद ही खत्म हो सकता है।
स्तन कैंसर (BREAST CANCER): स्तन कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राफी और डॉक्टर द्वारा क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन किया जाता है। हर 2-3 साल में एक बार सभी महिलाओं को मैमोग्राफी करानी चाहिए, ताकि शुरुआती अवस्था में कैंसर का पता लगाया जा सके और सही समय पर इलाज किया जा सके।
प्रोस्टेट कैंसर (PROSTATE CANCER): प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए पीएसए (Prostate-Specific Antigen) टेस्ट किया जाता है। 50 साल की उम्र के बाद हर 2 साल में यह टेस्ट कराना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को प्रोस्टेट बढ़ा हुआ हो या लक्षण नजर आ रहे हों, तो हर साल इस टेस्ट को कराने की सलाह दी जाती है।
कोलन कैंसर (COLON CANCER): कोलन कैंसर की जांच के लिए फीकल ओकल्ट ब्लड टेस्ट (FOBT) और कोलोनोस्कोपी किए जाते हैं। 50 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से FOBT टेस्ट कराना जरूरी होता है। यदि किसी व्यक्ति के परिवार में पहले से कोलन कैंसर का इतिहास रहा है, तो उसे 40 साल की उम्र से ही यह जांच शुरू करनी चाहिए। 40-50 साल की उम्र के बीच हर 2-3 साल में और 50-75 साल की उम्र के बीच हर साल यह जांच करानी चाहिए, ताकि इस गंभीर बीमारी को शुरुआती चरण में ही पहचाना जा सके।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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