Gonda News: डॉ भीमराव अम्बेडकर के जयंती के अवसर पर जिले में कार्यक्रम के आयोजित किया गया। आयुक्त ने सभागार में उपस्थित सभी अधिकारियों, कर्मचारी अधिवक्ताओं से कहा कि बाबा साहब के मूल मंत्र ‘‘शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो’’ पर अमल करने का आवाहन किया।
समता मूलक समाज की स्थापना के लिए हमें निरंतर प्रयास करना चाहिए
उन्होंने कहा कि भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर न केवल भारतीय संविधान के शिल्पकार थे। बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के प्रबल पक्षधर भी थे। आज का दिन हमें यह स्मरण कराता है कि समतामूलक समाज की स्थापना के लिए हमें निरंतर प्रयास करते रहना है। उनके विचार आज भी हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि हम डॉ अम्बेडकर के सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाएं और एक सशक्त, समान और समावेशी भारत के निर्माण में योगदान दें।
बाबा साहब के विचारों को हमें आत्मसात करने की जरूरत
जिलाधिकारी ने डॉ० अम्बेडकर के जीवन, उनके संघर्षों एवं संविधान निर्माण में उनके अद्वितीय योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ अम्बेडकर का जीवन हमें समानता, न्याय और अधिकारों के प्रति जागरूक करता है। आज हम सब यहां भारत रत्न डॉ० भीमराव अम्बेडकर की जयंती के पावन अवसर पर एकत्र हुए हैं। यह दिन न केवल एक महापुरुष के जन्मदिवस का प्रतीक है। बल्कि यह हमें उनके विचारों, संघर्षों और उनके द्वारा दिए गए सामाजिक संदेशों को आत्मसात करने का अवसर भी प्रदान करता है। उन्होंने जीवन भर शोषण, भेदभाव और असमानता के विरुद्ध संघर्ष किया और समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर आधारित समाज की नींव रखी। शिक्षा वह शस्त्र जिससे कोई भी व्यक्ति अपना जीवन बदल सकता
बाबा साहब का मानना था कि “शिक्षा वह शस्त्र है। जिससे कोई भी व्यक्ति अपना जीवन बदल सकता है। उन्होंने शिक्षा को अधिकार नहीं, बल्कि कर्तव्य के रूप में देखा। हमें भी उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए शिक्षा, सामाजिक समरसता और न्याय के मूल्यों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि हम सब मिलकर एक ऐसे समतामूलक, न्यायप्रिय और प्रगतिशील समाज के निर्माण में सहयोग करें।