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गाज़ियाबाद

सरकारी व्यवस्था और फ़र्ज़ के बीच ‘चट्टान’ है मार्मिक जंग

पीढ़ी दर पीढ़ी दर्शकों की नई खेप में फिल्में देखने का नजरिया बदला है। उन्होंने कहा कि अब उन्हें स्टार नहीं कंटेंट वाली फ़िल्में चाहिए।

गाज़ियाबादJun 14, 2023 / 06:39 pm

Kamta Tripathi

सरकारी व्यवस्था और फ़र्ज़ के बीच 'चट्टान' है मार्मिक जंग

सरकारी व्यवस्था और फ़र्ज़ के बीच ‘चट्टान’ है मार्मिक जंग

लगातार बड़े बैनर्स और स्टारर फिल्मों के फ्लॉप होने की वजह से नई टेक्नोलॉजी और कीमती कैमरे और ड्रोन्स से बढ़ते बोझ ने फिल्मकारों की सोच बदली है। उन्होंने मिडिल स्टारकास्ट और बढ़िया कंटेंट वाली फ़िल्में बनानी शुरू कर दी। जिसके फलस्वरूप ‘प्यार का पंच नामा ‘कश्मीर फाइल्स’ को बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता मिली। ये कहना है निर्देशन की कला सीखने वाले सुदीप डी. मुखर्जी का। जो कि आज फोटो ग्राफी के एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पहुंचे। जहां पर उन्होंने अपने आने वाली फिल्मों के बारे में भी बताया।
उन्होंने बताया कि अब सीमित बजट और मध्यम स्टारकास्ट फ़िल्में बनने की मुहिम शुरू हो गई है। उन्होंने इस मुहिम की शुरूआत की है। इसी कड़ी में उन्होंने “चट्टान” फिल्म का निर्माण किया है। जिसमें रंजन सिंह, लेख टंडन और प्रकाश मेहरा जैसे दिग्गज और हुनरदार फिल्मकारों से निर्देशन सीखने को मिला है। सुदीप डी. मुखर्जी ने बताया “चट्टान” पुलिस और प्रशानिक के बीच टकराव में सच्चाई के खातिर मर मिटने वाले पुलिस अफसर के निजी जीवन में आए उथल पुथल की कहानी है। यह फिल्म कम बजट की और कसी हुई स्र्किप्ट और शॉर्प डायलॉग्स पर ज़िंदगी भर याद रखी जाने वाली होगी। जिसमें जीत उपेंद्र और रजनिका गांगुली की मुख्य भूमिकाएं है इसके अतिरिक्त तेज सप्रू ब्रिज गोपाल और शिवा महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं।

सुदीप डी. मुखर्जी ने बताया कि वो पूर्णत: राष्ट्रवादी हैं, उनकी बिलकुल अलग सोच है। इसलिए वो किसी का अनुसरण नहीं
करते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी दर्शकों की नई खेप में फिल्में देखने का नजरिया बदला है। उन्होंने कहा कि अब उन्हें स्टार नहीं कंटेंट वाली फ़िल्में चाहिए। यही पक्की वजह है कि उलजुलूल कंटेट वाली और टॉप स्टारर ठगस ऑफ़ हिंदुस्तान’ (अमिताभ बच्चन, आमिर खान), शमशेरा (रणवीर कपूर), पृथ्वी राज (अक्षय कुमार ) जैसी फिल्मों को भारत और विदेशों तक के दर्शकों ने खुले तौर पर नकार दिया। जिससे फिल्म. इंडस्ट्री की इकनोमिक साख गड़बड़ा गई। इसी कारण से अब छोटे बजट की और मध्यम दर्जें के स्टारों के साथ फिल्में बनाई जा रही है।

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