मान्यता त्रेतायुग की शुरुआत में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के दिन ही भगवन विष्णु जी ने धूलि का वंदन किया था। इसलिए होली के अगले दिन धुलेंडी त्योहार मनाया जाता है। इसमें लोग एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैं, कई जगहों पर धूल और कीचड़ भी लगाते हैं, यह धूल स्नान कहा जाता है। आइये जानते हैं कब है धुलेंडी और क्या है पूजा का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार धुलंडी 14 मार्च 2025 शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है।
पूजा का अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:07 से 12:54 के बीच।
पूजा का शाम का मुहूर्त: 06:26 से 07:41 के बीच।
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होली की परंपरा
1.सालों पहले गांवों में लोग दोपहर से पहले धुलंडी के दिन रंग खेलते थे, कीचड़, मिट्टी से भी उत्सव मनाते थे, इसे धूल स्नान करते थे। लेकिन अब यह नहीं होता। शाम को घर-घर जाकर फाग गाया जाता था। नाच गाकर खुशियां मनाई जाती थी, प्रहसन किया जाता था। हालांकि यह रिवाज भी बदलता जा रहा है।
2. कई जगहों पर लोग एकजुट होकर अपने परिचितों या समाजजनों के उन घरों में रंग डालने जाते थे जहां पर किसी की मौत हो गई हो और उसके बाद पहली होली हो और गमी के माहौल को खत्म कर उसका शुद्धिकरण करते थे।
जिन कपड़ों में होली खेली है, ज्योतिष से जानें उसका क्या करें
ज्योतिषियों के अनुसार होली खेलने के बाद रंगों से सने कपड़ों को दोबारा नहीं पहनना चाहिए। क्योंकि यह कपड़े नकारात्मक ऊर्जा लिए होते हैं, इसलिए होली के बाद इन्हें दोबारा धोकर खुद नहीं पहनना चाहिए।