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2002 बैच के IFS जेपी सिंह, जिन पर John Abraham ने बनाई फिल्म, देशभक्ति से लबरेज है इनकी कहानी

IFS JP Singh Success Story: अभिनेता जॉन अब्राहम की फिल्म आने वाली है ‘द डिप्लोमैट’। इस फिल्म में जॉन आईएफएस अधिकारी जेपी सिंह का किरदार निभा रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं जेपी सिंह कौन हैं और उनकी सक्सेस स्टोरी-

भारतMar 16, 2025 / 06:04 pm

Shambhavi Shivani

JP Singh Success Story
IFS JP Singh Success Story: अभिनेता जॉन अब्राहम की फिल्म आने वाली है ‘द डिप्लोमैट’। इस फिल्म में जॉन आईएफएस अधिकारी जेपी सिंह का किरदार निभा रहे हैं। जेपी सिंह का जीवन काफी चर्चा में रहा और उजमा अहमद एक भारतीय महिला को पाकिस्तान से सुरक्षित भारत लाने में बड़ी भूमिका निभाई है। ऐसे में आइए जानते हैं जेपी सिंह कौन हैं और उनकी सक्सेस स्टोरी (Success Story)-

2002 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं जेपी सिंह

जे.पी. सिंह भारतीय विदेश सेवा के 2002 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं। उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण और चुनौती भरे फैसले लिए हैं। जेपी सिंह फिलहाल इजरायल में भारतीय राजदूत के तौर पर पोस्टेड हैं। उन्होंने संजीव सिंगला (2019-2024) की जगह ली है। जेपी सिंह ने अपने करियर में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान (PAI) डिवीजन में बतौर संयुक्त सचिव काम कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मिशन को अंजाम दिया है। उन्होंने पाकिस्तान में फंसी भारतीय नागरिक उजमा अहमद की सुरक्षित देशवापसी में बड़ी भूमिका निभाई है। 
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एक फैसले ने बदल दी जिंदगी, मिला महत्वपूर्ण पद 

उजमा अहमद को सफलतापूर्वक भारत लाने के बाद जेपी सिंह को विदेश मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण भूमिका दी गई। यह मामला जेपी सिंह की कूटनीतिक दक्षता का उदाहरण पेश करती थी, जिस वजह से उनके हाथ बड़ा प्रमोशन लगा। वर्तमान में वह इजराइल में भारत के राजदूत के रूप में तैनात हैं और वैश्विक कूटनीति में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

क्या था उजमा अहमद का मामला?


उजमा एक भारतीय नागरिक थी जो ताहिर अली नाम के एक शख्स से मिलने पाकिस्तान आई थी। ताहिर अली ने उससे बंदूक की नोक पर शादी रचाई और फिर बंदी बनाकर प्रताड़ित करने लगा। हालांकि, इन सबसे निकलकर उजमा किसी तरह भागकर भारतीय उच्चायोग में शरण लेने पहुंची। ताहिर ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट में उजमा के खिलाफ केस दर्ज किया। एक लंबी कानूनी कार्यवाही के बाद कोर्ट ने उजमा के पक्ष में फैसला सुनाया। 25 मई 2017 को उजमा वाघा बॉर्डर पार करके भारत वापस आ गई। 

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