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दमोह

मोबाइल की लत बना रही बच्चों को ‘रोबोट’, इस बीमारी का हो रहे शिकार, जानें पूरी जानकरी

Mobile addiction: बच्चों को मोबाइल देना भारी पड़ सकता है। स्क्रीन की लत उन्हें ऑटिज्म और मानसिक विकारों का शिकार बना रही है। पांच साल में ऐसे मामलों की संख्या दोगुनी हो चुकी है।

दमोहMar 27, 2025 / 02:31 pm

Akash Dewani

Increase in cases of autism disorder in children having Mobile addiction in damoh creates tension
Mobile addiction: अगर आप अपने बच्चों को घंटों मोबाइल देखने दे रहे हैं तो सावधान हो जाइए। इससे आपके बच्चे में ऑटिज्म (autism disorder) जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। ऑटिज्म एक तंत्रिका और विकास संबंधी विकार (न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर) है, जिसे सामान्य भाषा में मानसिक बीमारी भी कहा जा सकता है। बीते पांच साल में मोबाइल के बढ़ते चलन के कारण पांच साल तक के बच्चों में इस बीमारी की दर तेजी से बढ़ी है।
मनोरोग विशेषज्ञों (Psychiatric experts) का कहना है कि पांच साल तक के बच्चों में डेढ़ प्रतिशत तक इस बीमारी के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे कई बच्चों की स्पीच थेरेपी और मानसिक रोगों का इलाज अस्पतालों में चल रहा है।
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यह हैं ऑटिज्म के लक्षण

  • ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे दूसरों से दूर रहना पसंद करते हैं।
  • खुद को रिजर्व रखते हैं और सामाजिक मेलजोल कम कर देते हैं।
  • बच्चे आक्रामक हो जाते हैं और उनकी भावनाओं में असंतुलन देखने को मिलता है।
  • उनकी भूख कम हो जाती है और भोजन में रुचि घटती है।
  • वे चिड़चिड़े हो जाते हैं और गुस्सा जल्दी आता है।
  • अपने दिमाग में एक अलग ही दुनिया बना लेते हैं और वास्तविकता से दूर हो जाते हैं।

ऐसे करें बचाव, नहीं तो होगी परेशानी

  • माता-पिता और परिजन घर पर आते ही अपने मोबाइल को एक तरफ रखें और बच्चों के सामने मोबाइल का उपयोग कम करें।
  • बच्चों के साथ अधिक समय बिताएं और उन्हें खेल-कूद व अन्य रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रखें।
  • बच्चों को मोबाइल सीमित समय के लिए ही दें, ताकि उनकी निर्भरता न बढ़े।
  • खाना खाते समय बच्चों को मोबाइल न दें, क्योंकि इससे उनकी आदत बिगड़ सकती है।
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जापानी भाषा में बोलने लगी बच्ची

पुणे में रहने वाली चार साल की एक बच्ची का सागर जिला अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में इलाज चल रहा है। बच्ची के नाना-नानी ने बताया कि वह जो बोलती थी, वह समझ नहीं आता था। मनोरोग विशेषज्ञों की जांच में पता चला कि बच्ची दिनभर मोबाइल पर जापानी भाषा में कार्टून देखती थी, जिससे वह उसी भाषा में बात करने लगी।
दरअसल, बच्ची के माता-पिता नौकरी पर रहते थे और उसकी देखभाल मेड के जिम्मे थी। इस दौरान वह दिनभर मोबाइल पर जापानी कार्टून देखती थी, जिससे उसकी भाषा प्रभावित हो गई।

यूएसए से लौटे दंपती का बच्चा हिंदी-अंग्रेजी में भ्रमित

सागर जिला अस्पताल में अमेरिका से लौटे एक दंपती का बच्चा भी इलाज करा रहा है। समस्या यह है कि वह हिंदी और अंग्रेजी भाषा में भ्रमित हो गया है। मोबाइल पर लगातार अलग-अलग भाषाओं के कार्टून देखने के कारण बच्चा कंफ्यूज हो गया कि उसे किस भाषा में बोलना चाहिए। इस वजह से वह अपनी उम्र के हिसाब से सही तरीके से बोल नहीं पाता।

बच्चों पर मोबाइल के धार्मिक वीडियो का असर

सोशल मीडिया पर बागेश्वरधाम से जुड़ी रील्स जमकर देखी जा रही हैं, और छोटे बच्चे भी इन्हें लगातार देख रहे हैं। इसका प्रभाव उनके मानसिक विकास पर पड़ रहा है। भोपाल के एक बच्चे पर इसका गहरा असर देखा गया, जब वह अपने दोस्तों के बीच बैठकर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की तरह पर्चियां उठवाने लगा और उन्हीं की तरह बातें करने लगा।

स्पीच थेरेपी का महंगा इलाज, हर महीने 8 से 10 हजार खर्च

मोबाइल के अधिक उपयोग से मानसिक विकारों की चपेट में आए बच्चों का इलाज स्पीच थेरेपी के माध्यम से किया जाता है। यह इलाज छह महीने से तीन साल तक चल सकता है। इस थेरेपी का खर्च हर महीने 8 से 10 हजार रुपए तक आता है, जो आम परिवारों के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।

बौद्धिक विकास भी रुक रहा

दमोह निवासी मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. आदित्य दुबे का कहना है कि छोटे बच्चों में मोबाइल की लत के कारण ऑटिज्म के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे बच्चे सामाजिक रूप से अलग-थलग हो रहे हैं और उनके मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बीते पांच वर्षों में इस बीमारी के शिकार बच्चों की संख्या दोगुनी हो चुकी है।

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