बीसीसीआई सचिव देवजीत सैकिया ने कहा, कुछ असंतोष या राय अलग-अलग हो सकती है, क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है। यह पॉलिसी सभी टीम सदस्यों यानी खिलाड़ियों, कोचों, प्रबंधकों, सहायक कर्मचारियों और इसमें शामिल सभी लोगों पर समान रूप से लागू होती है। इसे सभी के बेहतर हितों को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि संशोधन के बाद नई पॉलिसी आई है, जिसमें अभ्यास सत्रों में खिलाड़ियों की उपस्थिति, मैच कार्यक्रम, दौरे, सामान, टीम की आवाजाही और अन्य सहायक गतिविधियों के संबंध में अतिरिक्त प्रावधान शामिल हैं, जिनका उद्देश्य टीम की एकजुटता और सामंजस्य स्थापित करना है।
बीसीसीआई सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि यह पॉलिसी हाल ही में नहीं बनी है और ना ही इसे अचानक से लागू किया गया है। यह पॉलिसी रातों-रात नहीं बनी है। यह दशकों से लागू है, हमारे अध्यक्ष रोजर बिन्नी के खेलने के दिनों से, संभवतः उससे भी पहले से।
हालांकि, बीसीसीआई सचिव ने संभावित रियायतों के लिए दरवाजा खुला रखा है। उन्होंने यह भी कहा है कि किसी भी बदलाव पर केवल औपचारिक प्रक्रिया के माध्यम से ही विचार किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि बीसीसीआई ने विदेशी दौरों के दौरान खिलाड़ियों के साथ परिवार के सदस्यों के रहने की अवधि बढ़ा दी है। इसके अलावा विशेष परिस्थितियों में नियमों में ढील देने का प्रावधान भी किया है, लेकिन यह उचित प्रक्रिया के जरिए किया जाएगा।
फैमिली स्टे पॉलिसी क्या है?
BCCI के फैमिली स्टे पॉलिसी के नए नियमों के मुताबिक, खिलाड़ी 45 दिनों से अधिक चलने वाली सीरीज या टूर्नामेंट में 14 दिनों तक परिवार को अपने साथ रख सकते हैं। वही, छोटे दौरों के लिए यह सीमा घटाकर सिर्फ 7 दिन कर दी गई है। विराट ने जताई थी नाखुशी
फैमिली स्टे पॉलिसी में बदलाव पर दिग्गज क्रिकेटर विराट कोहली ने नाखुशी जताई थी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा था कि परिवार खिलाड़ियों के लिए संतुलन लाते हैं, जो मैदान पर बुरे दौर से गुजर रहे होते हैं। मैदान से अपने कमरे में लौटकर खिलाड़ी अकेले और उदास नहीं बैठना चाहता। वह सामान्य रहना चाहता है। लोगों को यह समझाना बेहद मुश्किल है कि हर बार जब आपके साथ बाहर कुछ बहुत मुश्किल हो रहा होता है, तो अपने परिवार के पास वापस आना कितना अच्छा होता है।