इन्होंने अपने बच्चों का नाम स्कूल, कॉलेज आदि में प्रवेश के दौरान सामान्य वर्ग में लिखवाया। इन दोनों ने ही अपनी संतानों को आरक्षण के बिना ही शिक्षा और रोजगार के लिए सामान्य श्रेणी की राह में चलने के लिए प्रेरित किया। फिलहाल संदीप बोरकर का पुत्र सिद्धार्थ बोरकर एक निजी स्कूल में अध्ययनरत है। अधिवक्ता बाबूलाल चौहान ने भी यह कदम उठाया है। उनकी पत्नी वर्तमान में शासकीय शिक्षक के पद पर हैं। इस कारण अब वे अपने बेटे के लिए सामान्य श्रेणी से ही भविष्य तैयार कर रहे हैं। उनका बेटा आर्य चौहान कोटा में नीट की तैयारी कर रहा है।
हमारी स्थिति ठीक, अब दूसरों को मिले अवसर
इंजीनियर संदीप बोरकर एवं अधिवक्ता बाबूलाल चौहान कहा कहना है कि अभी भी हमारे अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चे अच्छी शिक्षा एवं नौकरियों से वंचित हैं। जबकि, हम अपने कार्य के सहारे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा एवं समस्त संसाधन उपलब्ध करवा सकते हैं। उनका भविष्य संवार सकते हैं। ऐसे में यदि हमारे बच्चे आरक्षण का लाभ छोड़ते हैं, तो इसका लाभ हमारे ही समाज के उन बच्चों को ही मिलेगा, जो अब भी संघर्ष कर रहे हैं। उन्हें उनका हक मिल सकेगा। सोमवार को बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की 134 वीं जयंती है। यही तथागत गौतम बुद्ध की शिक्षाओं एवं बाबा साहब आंबेडकर के सामाजिक समानता के प्रयासों का सच्चा अनुसरण एवं उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।