इस वर्ष होलिका दहन 1& मार्च, गुरुवार को किया जाएगा और इसके अगले दिन, यानी 14 मार्च को रंगों वाली होली खेले जाने की परंपरा है। हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है। इस दिन को बुराई पर अ‘छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है, और इसे बड़े धूमधाम से मनाने के लिए लोग खास इंतजार करते हैं। इस साल होलिका दहन के दिन, यानि 1& मार्च को सुबह 10 बजकर &5 मिनट से लेकर रात 11 बजकर 26 मिनट तक भद्रा का साया रहेगा, जो शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन के लिए अशुभ माना जाता है। भद्रा काल में होलिका दहन नहीं किया जाता है, और इस वजह से लोगों के बीच असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। हालांकि, इस विशेष स्थिति में कई ’योतिषी और पंडित सलाह दे रहे हैं कि भद्रा के बाद ही होलिका दहन करना चाहिए, जिससे यह शुभ और फलदायक हो सके। इस हिसाब से रात 11.26 से 12.&0 बजे तक शुभ मुहूर्त है।
होलिका दहन का महत्व
होलिका दहन का पर्व बुराई पर अ‘छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन को सही विधि और नियमों के साथ मनाने से न केवल सभी परेशानियों और चिंताओं का नाश होता है, बल्कि घर में सुख-शांति का वास भी होता है। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा का विशेष महत्व है, जिससे मानसिक शांति मिलती है और धन धान्य की कभी कमी नहीं होती है।
बाजार में जगह-जगह बिक रहा रंग, गुलाल व पिचकारी
त्योहार को लेकर जिलेभर में तैयारियां की गई है। खासकर युवा वर्ग को होली को यादगार बनाने की तैयारी में जुटे हैं। रंगों के त्योहार होली को लेकर बाजारों में दुकानें सजी हुई हंै। इस बार बाजार में खास होली से संबंधित सामानों की अधिकतर देशी दिख रहे है। रंग बिरंगी टोपी से लेकर पिस्तोल पिचकारी सभी कुछ देशी उपलब्ध है। किराना दुकानदारों की मानें तो होली पर मेवा की बिक्री भी अधिक होती है। वहीं लोगों ने त्योहार को न लेकर रंग गुलाल की जमकर खरीदारी की है।
पुलिस भी हुई अलर्ट
जिले में होली के त्योहार के दौरान कहीं पर भी घटनाओं, हुड़दंग, शराबखोरी, नशाखोरी आदि पर लगाम लगाने के लिए पुलिस अलर्ट हो गई है और शहर के विभिन्न इलाकों में चैकिंग, गस्ती की जा रही है। इस दौरान पुलिस द्वारा लोगों को शांति और सद्भाव के साथ त्योहार मनाने की अपील की गइ है।