बर्तन बैंक का उपयोग गांव में शादी समारोह, पारिवारिक आयोजनों, सामुदायिक कार्यक्रमों या पंचायत स्तर पर होने वाले प्रशिक्षणों में किया जाएगा, ताकि ऐसे कार्यक्रमों में प्लास्टिक की पत्तलों के उपयोग को रोका जा सके और गांवों को प्लास्टिक मुक्त बनाया जा सके। बर्तन बैंक के लिए ग्राम पंचायत भवन या ऐसे स्थानों का चयन करना होगा, जहां बर्तनों को सुरक्षित स्थानों पर संधारित कर ग्रामीणों को उपलब्ध कराया जा सकें।
प्रत्येक ग्राम पंचायत में बर्तनों के 400 सेट उपलब्ध कराए जाएंगे। एक सेट में एक प्लेट, 3 कटोरी, एक-एक चम्मच और ग्लास होंगे। हर बर्तन पर संबंधित पंचायत का नाम और स्वच्छ भारत मिशन लिखवाया जाएगा। बर्तनों को रखने के लिए रैक की व्यवस्था की जाएगी। जिस पर बर्तन बैंक लिखा जाएगा। पांच वर्ष बाद बर्तन बदले जा सकेंगे। बर्तन किराए पर देने से मिलने वाली राशि बैंक में ही जमा होगी और यह राशि सार संभाल में खर्च की जाएगी।
दिव्यांग, बीपीएल, अनुसूचित जाति, जनजाति और विशेष परिस्थितियों में किराए में पचास प्रतिशत की छूट दी जा सकेगी। बर्तन खोने और टूट-फूट होने पर संबंधित उपयोगकर्ता से किराए और शुल्क सहित इसकी भरपाई कराई जाएगी। इसका रेकॉर्ड भी संधारित करना होगा।
सरकार ने बजट में पंचायतों को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए ग्राम पंचायतों में बर्तन बैंक की स्थापना करने की घोषणा की है। अभी बूंदी जिले की 15 पंचायतों में इसकी स्थापना की जाएगी। बैंक के लिए जगह चिहिंत की जा रही है। इस बैंक का संचालन महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा किया जाएगा।
बी.आर.जाट, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद बूंदी