CG Naxal News: राजमिस्त्री का प्रशिक्षण ले रहा हूं: लाल आतंकी
पत्रिका ने इन शिविरों में कौशल प्रशिक्षण ले रहे लोगाें के जीवन में बदलाव की कहानी जानी। हुनरमंद बन रहे ये पुराने ‘ लाल आतंकी’ आज की स्थिति से खुश हैं तो अपने अतीत पर अफसोस भी जाहिर करते हैं। पूर्व पीएलजीए मेंबर सुकराम कहते हैं मैं पहले दूसरे राज्य में जाकर काम करता था। नक्सलियों ने गांव में आकर परिवार के लोगों को परेशान किया। कुछ मजबूरी कुछ उत्साह में मैंने संगठन जॉइन कर लिया। खून खराबा भी किया लेकिन बाद में लगा यह गलत है, सब छोड़ देना चाहिए। मैंने सरेंडर किया और अब राजमिस्त्री का प्रशिक्षण ले रहा हूं। परिवार की सुरक्षा की मजबूरी में सुकराम की तरह नक्सली संगठन जॉइन करने वाले और भी युवक शिविर में हैं।
दरअसल, सरेंडर कर चुके इन लोगों को रोजगार प्रशिक्षण देने के लिए सरकार वही ट्रेड सिखा रही है जिनमें इनकी रूचि है और बाद में उन्हें आसानी से काम मिल सकता है। आइटीआई और लाइवलीहुड मिशन के माध्यम से इन्हें अलग-अलग तरह के काम सिखाए जा रहे हैं। कोई राज मिस्त्री का काम सीख रहा है तो कोई कारपेंटर का। पेंटिंग, सिलाई-बुनाई जैसे काम भी सिखाए जा रहे हैं।
मिलिशिया कमांडर ले रहा खेल और योग की ट्रेनिंग
पूर्व मिलिशिया कमांडर पंडरू ताती कभी आईईडी प्लांट करने का काम करता था। आईईडी ब्लास्ट से कई लोगों की जान गई। संगठन में रहते एकाधिक बार पुलिस से मुठभेड़ में वह बाल-बाल बचा। बाद में सरेंडर कर मुख्यधारा में लौटा तो आज खेल और योग की ट्रेनिंग ले रहा है। किशोरावस्था में बॉलीवॉल का अच्छा खिलाड़ी रहा पंडरू आज अपनी पुरानी रूचि को फिर से जिंदा कर रहा है और युवकाें को वॉलीबॉल सिखाना चाहता है। ट्रेनिंग कैंप में वह निरक्षर साथियों को पढ़ा भी रहा है। पूर्व मिलिशिया मेंबर सुरेश कट्टम पढ़ा लिखा है। जंगल में संगठन में रहने के दौरान वह घायल नक्सलियों का इलाज करता था। मोहभंग हुआ तो सरेंडर कर राजमिस्त्री का प्रशिक्षण ले रहा है, उसे काम आ भी गया है। सुरेश कहता है मैं खुश हूं, जीवन में आगे कुछ करुंगा। छत्तीसगढ़ सरकार हमारे लिए लाभदायक काम कर रही है।
प्लेसमेंट के जरिए रोजगार भी दिलाएंगे
डॉ. जितेंद्र यादव, एसपी बीजापुर: राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें प्लेसमेंट के जरिए रोजगार भी उपलब्ध करवाया जाएगा। इस प्राजेक्ट की वजह से वे अपने पिछले स्याह जीवन की यादों को भुलाकर जीवन में रंग भर रहे हैं।
बेरोजगार न रहें, इस पर खास ध्यान
बस्तर में नक्सलवाद का गढ़ कहे जाने वाले बीजापुर जिले की पहचान सिर्फ लाल आतंक के रूप में होती है। अब जब नक्सली हथियार छोडक़र वापस लौट रहे हैं तो सरकार भी उनके लिए बहुत कुछ कर रही है। इसके पीछे एक ही सोच है कि बेरोजगारी की वजह से वे वापस उसी दलदल में ना चले जाएं। लाल आतंक का दायरा सिमटने के बाद बदलाव की तस्वीर सामने आ रही है। इस पूरे प्रोजेक्ट के तहत एक स्पेशल ट्रेनिंग कैंप तैयार किया गया है। योग से शुरू होकर खेलकूद पर खत्म होता है दिन
कौशल विकास ट्रेनिंग कैम्प में 90 नक्सलियों को पहले चरण में ट्रेंड किया जा रहा है। सुबह पांच बजे योग के साथ दिन की शुरुआत होती है। इसके बाद दिनभर अलग-अलग तरह के कामों की
ट्रेनिंग दी जाती है। साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत पढ़ाई भी करवाई जाती है। टीवी देखने का समय भी तय किया गया है ताकि वे देश-दुनिया में चल रही गतिविधि को जान सकें। शाम का वक्त खेल-कूद के लिए तय रखा गया है।
पशु पालन और खेती किसानी भी सीख रहे
CG Naxal News: ट्रेनिंग सेंटर में ऐसे नक्सली भी अपना जीवन बदल रहे हैं जो नक्सल संगठन में बम लगाने से लेकर हथियार बनाने तक का काम करते थे। ऐसे समर्पित नक्सली अब खेती-किसानी के गुर सीख रहे हैं। मवेशी पालन, मछली पालन जैसी चीजें भी सीख रहे हैं। इसके अलावा उन्हें एक्सपोजर विजिट भी करवाया जा रहा है। अलग-अलग जिलों के संस्थानों में जाकर वे विशेष कामों को करीब से देख रहे हैं।