उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने इस निर्णय को लेकर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि ‘भाषाएं जोड़ती हैं, तोड़ती नहीं। सभी भारतीय भाषाएं हमारी अपनी’। मंत्री परमार के अनुसार, मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालय अब विभिन्न भारतीय भाषाओं की पढ़ाई का अवसर देंगे। इससे न केवल छात्रों की भाषाई जानकारी बढ़ेगी बल्कि राज्य को भाषाई विविधता का केंद्र बनाने में भी मदद मिलेगी।
यह भी पढ़ें- मोहन कैबिनेट की अहम बैठक आज, शहरों से गांवों को जोड़ने खास बसें चलाई जाएंगी, स्टूडेंट्स को मिलेगी खास छूट ‘एमपी ने उच्च शिक्षा में बदलाव को सबसे पहले अपनाया’
मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के लागू होने के बाद मध्य प्रदेश ने उच्च शिक्षा में बदलाव को सबसे पहले अपनाया है। यानी मध्य प्रदेश इस कदम को लेने वाला देश का पहला राज्य है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश ने एनईपी 2020 को लागू किया गया था।
यह भी पढ़ें- सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, अब 7वें वेतनमान के हिसाब से मिलेगा महंगाई भत्ता शिक्षा की गुणवत्ता में होगा सुधार
मध्य प्रदेश के इस कदम से न सिर्फ राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि ये देशभर में बहुभाषी संस्कृति को भी बढ़ावा देगा। राज्य ने इसे सांस्कृतिक समृद्धि के रूप में प्रस्तुत किया है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या अन्य राज्य भी इस पहल को अपनाएंगे या राजनीतिक कारणों से इस पर मतभेद बने रहेंगे।