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भोपाल

एमपी के नामी IAS अफसर पर लगे गंभीर आरोप, जमीन आवंटन का है मामला

MP News : मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के महाप्रबंधक अमनबीर सिंह बैंस बैतूूल कलेक्टर रहते 36 एकड़ जमीन का प्रयोजन बदलने और उसे नियम विरुद्ध आवंटित करने के मामले में घिर गए हैं।

भोपालApr 08, 2025 / 08:45 am

Avantika Pandey

IAS officer Amanbir Singh Bains

IAS officer Amanbir Singh Bains

हरिचरण यादव

MP News : मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के महाप्रबंधक अमनबीर सिंह बैंस(Amanbir Singh Bains) बैतूूल कलेक्टर रहते 36 एकड़ जमीन का प्रयोजन बदलने और उसे नियम विरुद्ध आवंटित करने के मामले में घिर गए हैं। आवंटित जमीन पर 60 करोड़ से जेल विभाग नई जेल बनवा रहा है, बाकी जमीन उद्योग विभाग को दी है। जेल निर्माण की एजेंसी हाउसिंग बोर्ड के जरिए कलेक्टर ने पुरानी जेल की 6 एकड़ जमीन निजी कंपनी को आवंटित कर दी। मुख्य शहर के बीच की इस जमीन की कीमत 200 करोड़ से ज्यादा है। कंपनी मॉल और फ्लैट बनाना चाहती है। प्रोजेक्ट की कीमत 500 करोड़ से अधिक आंकी जा रही है।
आरोप है कि अमनबीर(Amanbir Singh Bains) ने बैतूल कलेक्टर रहते 2022-2023 में कढ़ाई पंचायत में चरनोई की जमीन का प्रयोजन बदलकर नियम विरुद्ध आवंटन किया। इसके खिलाफ पंचायत ने ग्रामसभा में प्रस्ताव लिया। अब सुप्रीम कोर्ट के वकील आदित्य मिश्रा ने मुख्य सचिव अनुराग जैन को 23 मार्च को नोटिस भेजा है। 
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यह है मामला

बैतूल की कढ़ाई पंचायत के खसरा 123/1, 123/2, 123/3 की 7.499, 4.000, 2.430 हेक्टेयर व खसरा 176/2 की 2.430 हेक्टेयर समेत 36 हेक्टेयर जमीन 2022-2023 में जेल विभाग और उद्योग विभाग को दी।

पिता रहे मुख्य सचिव

2013 बैच के आइएएस अफसर अमनबीर सिंह के पिता इकबाल सिंह बैंस मुख्य सचिव रह चुके हैं। अमन 9 फरवरी 2021 से 31 दिसंबर 2023 तक बैतूल कलेक्टर रहे। यह मामला जब हुआ तब वे ही सीएस थे। उस समय अमनबीर की गिनती ताकतवर अफसरों में होती थी।

अमनबीर बैंस पर लग रहे ये आरोप

  1. पुनर्घनत्वीकरण नीति 2016 के तहत शहरी संपत्ति के बदले ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण नहीं कराया जा सकता, जबकि इस मामले में ऐसा ही हो रहा है। 36 एकड़ जमीन ग्राम पंचायत की है, जहां जेल बनाने वाली एजेंसियों को शहर की बेशकीमती जमीन दी है।
  2. मध्यप्रदेश नजूल निर्वतन निर्देश 2020 की धारा 3 (ग) में उल्लेख है कि जो जमीन मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 237 (1) के तहत आरक्षित है, वह नजूल भूमि नहीं मानी जाएगी अर्थात चरनोई के लिए आरक्षित रहेगी। कढ़ाई की जमीन इसी के तहत दर्ज थी।
  3. भू-राजस्व संहिता की धारा 237 (2) के तहत इस जमीन के प्रयोजन को बदलने संबंधी अधिकार 2011 में ही सरकार ने कलेक्टरों से वापस ले लिए थे। इसके बावजूद बैतूल कलेक्टर ने प्रयोजन बदला।
  4. आवंटित जमीन पर महुआ, आचार, नीम, बरगद के अनगिनत पेड़ थे। जिला पंचायत की मदद से हरियाली खुशहाली योजना में तालाब बनवाया। 9 फरवरी 24 को खेड़ीसांवलीगढ़ नायब तहसीलदार ने प्रतिवेदन में पाया कि आवंटन में पेड़-तालाब का जिक्र नहीं है। इससे दोनों को नुकसान पहुंचा।

जांच नहीं हुई तो आगे बढ़ेंगे

मुख्य सचिव समेत अन्य सक्षम अधिकारियों को नोटिस के माध्यम से सूचित किया है। न्यायालयीन कार्रवाई के पूर्व उक्त प्रक्रिया शासन के हित में अपनाई है, उसके बाद आगे बढ़ेंगे। -आदित्य मिश्रा, वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट

शिकायत का मजाक बना रहे

भूमि का प्रयोजन बदलने व आवंटन में कई स्तर पर गड़बड़ी किए जाने की शिकायत लिखित में की। कलेक्टर की गड़बड़ी की जांच नायब तहसीलदार को करने के निर्देश हुए, वह भी नहीं कर रहे। मजाक बनाया जा रहा है। -मुकेश लुल्ला, शिकायतकर्ता, बैतूल

जनसुनवाई में शिकायतें आती हैं

जनसुनवाई में शिकायतें आती हैं, उन्हें किसी न किसी को देना पड़ता है। यदि उस शिकायत के आधार पर जांच के आदेश जारी हुए हैं तो उसे निरस्त करेंगे, क्योंकि आवंटन नियमानुसार हुआ। नरेंद्र सूर्यवंशी, कलेक्टर बैतूल

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