नगरपालिका सालाना भवन अनुज्ञा के 350 से 400 आवेदन पास करती है। बीते तीन सालों के दौरान नगरपालिका में भवन अनुज्ञा के लिए 2 हजार 378 आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से 1706 आवेदनकर्ताओं को भवन अनुज्ञा जारी की गई थी, लेकिन इनमें से 267 लोगों ने ही रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के बाद एफडी वापस ली हैं जबकि शेष लोगों ने आज तक एफडी की राशि वापसी के लिए आवेदन ही नहीं किया। वहीं वर्ष 2017 में 217 रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बने, वर्ष 2018 में 364 सिस्टम बनाए गए। जबकि सरकारी आवासों एवं भवनों में कुल 198 वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बने हैं।
रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के प्रति भवन स्वामियों की उदासीनता तो समझ में आती है, लेकिन नगरपालिका इंजीनियरों की लापरवाही इस सिस्टम पर भारी पड़ रही है। रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भवन स्वामी ने बनाया हैं या नहीं इसे मौके पर जाकर देखने का काम नगरालिका के इंजीनियरों का था। उन्हें भवन स्वामी के घर जाकर भौतिक सत्यापन कर इसकी रिपोर्ट देनी थी लेकिन निरीक्षण ही नहीं किया गया। यही कारण है कि नगरपालिका में कई भवन स्वामियों की एफडी आज तक पड़ी हुई हैं लेकिन कोई इसे लेने के लिए नहीं आया। जबकि सभी के भवन पहले से बन चुके हैं।
शहरी क्षेत्र में मकान बनाने की परमिशन तभी दी जाती जब भवन निर्माता अपने मकान में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने की हामी भरता है। भवन निर्माण की मंजूरी देने के पूर्व नगरपालिका द्वारा दस हजार रुपए की संयुक्त एफडी कराई जाती है जो भवन मालिक एवं सीएमओ के नाम पर बनती है। यह एफडी बैंक जमा होती है जो भवन मालिक को उस समय मिलती है जब वह भवन में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए जाने के दस्तावेज प्रस्तुत करता है। सब इंजीनियर द्वारा भवन निरीक्षण करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है। जिसके बाद एफडी की राशि लौटा दी जाती है।वर्तमान में नगरपालिका में डेढ़ हजार एफडी मौजूद हैं। जिन्हें लेने कोई नहीं आया है।देखा जाए तो करीब डेढ़ करोड़ रुपए एफडी के तौर पर पड़ा हुआ है।
वर्ष 2018-19 में नगरपालिका ने वर्षा जल संरक्षण मुहिम के चलते सरकारी आवासों एवं बिल्डिंगों में रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए थे। कुल 198 रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए गए थे। सरकारी बिल्डिंगों में बने रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कुल एरिया 59 हजार 110 स्क्वेयर मीटर था। सरकारी बिल्डिंगों में यह सिस्टम को बना दिया गया लेकिन इसकी देखरेख नहीं किए जाने और मेंटनेंस नहीं होने के कारण पाइप लाइनें टूट-फूट चुकी हैं। वहीं वर्ष 2019-20 में कलेक्टोरेट की नई बिल्डिंग में भी 14 हजार 560 स्क्वेयर मीटर में रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया हैं, लेकिन जहां पानी को स्टोरेज किया जाता हैं वहां नालियां कचरा भरे होने से चोक पड़ी हैं और फिल्टर एरिया भी मिट्टी और कचरा जमा होने से चोक हो चुका हैं।