एम्स में नेशनल सिम्पोजयि़म ऑन 3डी प्रिंटिंग एंड मॉडलिंग का आयोजन किया गया, जिसमें कार्डियोथोरेसिक विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. आदित्य सिरोही ने यह जानकारी दी। कार्यक्रम में एम्स दिल्ली समेत दुनियाभर से 3डी प्रिंटिंग विशेषज्ञ और सर्जन शामिल हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने किया।
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एम्स दिल्ली के न्यूरो इंजीनियरिंग लैब के साइंटिस्ट डॉ. रमनदीप सिंह ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस 3डी प्रिंटर मरीज के दिल जैसा आर्टिफिशियल हार्ट तैयार करता है। इसमें साइज और नसों के आकार और उनके स्थान बिल्कुल एक जैसे होते हैं। मॉडल से दिल की बारीकियां पता चल जाती हैं। इससे आपरेशन में आसानी होती है। यह सिलिकॉन का दिल, फेफड़े, दिमाग से लेकर कोई भी अंग बना सकता है। इसमें डॉक्टर जरूरत के हिसाब आर्टिफिशियल अंग के हिस्सों का कलर व कठोरता भी तय कर सकता है।
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थ्री डी प्रिंटर में मरीज की सिटी स्कैन व एमआरआई रिपोर्ट के साथ ब्लड टेस्ट समेत अन्य रिपोर्ट की डिटेल फीड करनी होती है। इसके बादमशीन मरीज के जैसा दिल तैयार कर देती है। मरीज को जो एनफोर्सेबल रिस्क होते हैं या सर्जरी के बाद जिन दिक्कतों का खतरा रहता है। यह 3डी प्रिंटिंग उनको कम करने में मददगार है। इसके अलावा सर्जरी का टाइम भी कम करने में सहायक है। गंभीर सर्जरी व ऑपरेशन से पहले डॉक्टर 3डी प्रिंटर की मदद से निकले अंग पर प्रैक्टिस कर सकेंगे।
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इस सुविधा के तहत एम्स भोपाल में अब तक 16 बच्चों की जटिल सर्जरी की प्री प्लानिंग की गई और सफल सर्जरी कर उन्हें नया जीवन दिया गया। इस प्रिंटर को पॉलीजेट डिजिटल एनाटॉमी प्रिंटर कहते हैं।