सीटू की लड़ाई लाई रंग
सीटू (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन) के प्रदेश अध्यक्ष रामविलास गोस्वामी और महासचिव प्रमोद प्रधान के नेतृत्व में श्रमिकों ने मैदानी और कानूनी लड़ाई लड़ी। श्रम विभाग पर प्रदर्शन, धरने और आंदोलनों के जरिए न्याय की मांग उठाई गई। वहीं, इंदौर हाई कोर्ट की बेंच में सीटू के वकील बाबूलाल नागर ने मजबूती से पक्ष रखा, जिससे कोर्ट ने स्टे खारिज कर दिया। सरकार और मालिकों ने लटकाए रखा था मामला
स्टे खारिज होने के बाद भी सरकार और मालिकों की ओर से मामले को लटकाने की कोशिश की गई, लेकिन सीटू मजदूरों के पक्ष में डटी रही। कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने निर्देश जारी कर दिए कि श्रमिकों को 200 से 2500 रुपए तक वेतन वृद्धि मिलेगी, जबकि 20,000 से 25,000 रुपए तक एरियर का भुगतान होगा।
मजदूरों के लिए ऐतिहासिक जीत
सीटू के जिला अध्यक्ष विनोद सुमन और महासचिव अनिल दोनेरिया ने इसे मजदूरों की ऐतिहासिक जीत बताया है। उन्होंने नगर परिषद, बिजली विभाग और औद्योगिक क्षेत्र के प्रबंधन से अपील की कि वे तुरंत बढ़ी हुई दरों पर वेतन और एरियर का भुगतान करें। इस फैसले से हजारों श्रमिकों के जीवन में आर्थिक संबल आएगा।