खनिज विभाग के अनुसार क्वारी लाइसेंस में खनन अवधि 31 मार्च 2025 तक थी। अवधि समाप्त हो गई। इसके बाद खनन विभाग ने इसको अपने अधीन ले लिया। इसके चलते खनन कार्य थम गया। दरअसल अरावली पहाड़ी क्षेत्र में पांच दशक से पहले से खनन कार्य होता था। क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी कारणों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वत श्रृंखला क्षेत्र की क्वारी लाइसेंस में खनन पर रोक लगा दी थी। इन क्वारी लाइसेंस की अवधि बढ़ाने या नहीं बढ़ाने का फैसला सरकार के स्तर पर होगा। हालांकि इसके लिए खान विभाग ने राशि भी जमा कर ली है। विभाग के अनुसार जिन लीजों की समयावधि खत्म हुई है उनकी संख्या देशभर में हजारों के करीब है। मेजर मिनरल खदानों की केंद्र सरकार नीलामी कर रही है। लेकिन माइनर मिनरल वाली लीजों के लिए राज्य सरकार को फैसला करना है। इन क्वारी लाइसेंस की खनन अवधि बढ़ने या नहीं बढ़ने का फैसला सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन अरावली पर्वत श्रृंखला में है या नहीं है, तथा खनन संबंधी उपयुक्त है या नहीं इसका निर्णय राज्य सरकार को करना है। अरावली पर्वतमाला भीलवाड़ा ज़िले के बदनोर में दिखती है। अरावली पर्वतमाला क्षेत्र में बरसात के दिनों में माउंट आबू जैसा नज़ारा दिखाई देता है।