इन पर रहेगी नजर सर्वे के दौरान शिक्षक विशेष रूप से अनामांकित, स्कूल छोड़ चुके (ड्रॉप आउट) बच्चे, प्रवासी श्रमिकों के बच्चे व बाल-श्रम से मुक्त किए गए बच्चों की पहचान करेंगे। साथ ही आंगनबाड़ी से बच्चों को स्कूल से जोड़ने के प्रयास किए जाएंगे। शिक्षक घर-घर जाकर स्कूल की उपलब्धियों जैसे-बोर्ड परीक्षा परिणाम, स्कूल में उपलब्ध सुविधाएं व पूर्व विद्यार्थियों की सफलता की जानकारी पम्फलेट्स के माध्यम से अभिभावकों को देंगे।
साप्ताहिक मॉनिटरिंग से होगा मूल्यांकन हर शनिवार को पीईईओ (प्रारंभिक शिक्षा विस्तार अधिकारी) अपने क्षेत्र के समस्त विद्यालयों से अनामांकित व ड्रॉपआउट बच्चों की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करेंगे और सीबीईओ को प्रेषित करेंगे। इसके बाद सीबीईओ, समस्त रिपोर्टों का संकलन कर सीडीईओ को भेजेंगे। सीडीईओ प्रत्येक सोमवार को संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा को एक पृष्ठीय संख्यात्मक रिपोर्ट भेजेंगे।
प्रवेश महोत्सव 8 मई से नवप्रवेशित विद्यार्थियों के स्वागत एवं प्रोत्साहन के लिए 8 मई से प्रवेश महोत्सव मनाया जाएगा। इस अवसर पर अभिभावकों को स्कूल आमंत्रित कर प्रवेश समिति से परिचित करवाया जाएगा तथा बच्चों का स्वागत तिलक, माला या अन्य सांस्कृतिक तरीकों से किया जाएगा।
देरी का पड़ता है प्रभाव जहां निजी स्कूल अप्रेल में ही प्रवेश प्रक्रिया पूरी कर पढ़ाई शुरू कर देते हैं, वहीं सरकारी स्कूलों में मई तक परीक्षाएं चलती हैं और नया सत्र जुलाई में शुरू होता है। निजी स्कूलों में बेहतर सुविधाएं मिलने के कारण लोगों का रुझान सरकारी स्कूलों से कम हो रहा है। जबकि सरकार प्रत्येक छात्र पर हजारों रुपए खर्च कर विभिन्न योजनाएं चला रही है।