उसके बाद प्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में आते ही आठ दिन में ही अपने बने नियम को बदल दिया और विधायक को भी चेयरमैन रहने का अधिकारी दे दिया। नियम बदलकर विधायक (रामलाल जाट) को चेयरमैन का चुनाव लड़ाया। विधायक का चुनाव लड़ा और आठ दिन बाद वे उस सीट पर बैठ गए। मंत्री बने, उसके बाद डायरेक्टर पद से इस्तीफा दिया।
उसके बावजूद भी वे ढाई साल तक डेयरी में बने रहे और राजस्व को हानि पहुंचाई। जब वे डायरेक्टर नहीं थे. तो किस हैसियत से ढाई साल तक रहे और सरकार के राजस्व को हानि पहुंचाई। जाट ने बिना पद पर रहते हुए जो नुकसान किया, उसे वापस सरकार के खाते में लाना चाहिए।
जाट ने पीए को बनाया डायरेक्टर
प्रतापपुरा हुरडा क्षेत्र में आता है। जाट वहां से डायरेक्टर थे, लेकिन उन्होंने जनप्रतिनिधि बनने के बाद अपने पीए (ईश्वर गुर्जर) को, जो वहां का निवासी नहीं है। उसके गांव में गाय-भैंस नहीं है और ना ही वहां का राशन कार्ड। फिर भी पीए को वहां से अध्यक्ष का चुनाव लड़ाकर डायरेक्टर बना दिया। डेयरी में कई गड़बड़झाले हुए उसकी जांच होनी चाहिए।
भीमडियास चुनाव में हुई थी गड़बड़ी
मांडल, भीमडियास जीएसएस के चुनाव में कई गड़बड़ी हुई थी। यहां से भाजपा समर्थित आठ सदस्य जीते थे जबकि कांग्रेस के चार सदस्य जीते थे, लेकिन भाजपा के आठ लोगों को इसलिए रोक दिया कि तुम्हारी तीस रुपए की पर्ची नहीं कटी। उनके चार लोगों को अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और व्यवस्थापक बना दिए। ऐसा कई जीएसएस में किया है।
डेयरी में 1191 समितियां, बोट का अधिकार 199 को
भीलवाड़ा जिले में 1,191 दूध समितियां हैं। लेकिन धारा 30 के तहत 199 लोगों को वोटिंग का अधिकार है। एमपी और गुजरात की तर्ज पर यहां भी ऐसे नियम बने ताकि सभी समिति सदस्यों को वोट का अधिकार मिलें। ताकि डेयरी में भाजपा का अध्यक्ष बैठ सके। वहीं भीलवाड़ा में उपभोक्ता भंडार की 19 दुकानें हैं। उनमें 13 उपभोक्ता भंडार में और 6 क्रय-विक्रय समिति के पास हैं। 13 दुकानों में कांग्रेस सरकार के समय से फार्मासिस्ट लगे हैं। नए फार्मासिस्टों की भर्ती की जाए ताकि भंडार में हुए घोटालों को रोका जा सकें।