संदिग्ध आचरण की शिकायतें मिलने पर एसपी ने बाकायदा थानोंदारों की बैठक लेकर उन्हें हिदायत दी थी। उनके थाना क्षेत्रों में चल रही संदिग्ध गातिविधियों को सख्ती से बंद करने के निर्देश दिए थे। वाबजूद ऐसी शिकायतें बंद नहीं हुई तो उन्होंने कार्रवाई शुरू की।
केस – 1. महादेव सट्टा ऐप मामले में संदिग्ध आरक्षक भीम सिंह यादव, अर्जुन यादव और सहदेव यादव के खिलाफ कार्रवाई की गई। उन्हें सस्पेंड किया गया। जांच के बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जेल भेजा गया।
केस – 2. भिलाई तीन थाना में पदस्थ आरक्षक विजय धुरंधर ने जब्त गांजा में से कुछ मात्रा में गांजा को छुपा दिया। इस पर उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया। वह वर्तमान में न्यायिक अभिरक्षा में जेल में है।
केस – 3. पाटन थाना में पदस्थ आरक्षक डिलेश्वर पठारे का मवेशी तस्करों के साथ मेलजोल बढ़ने की शिकायत मिलने पर जांच की गई। जांच के बाद उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया। वह भी वर्तमान में वह जेल में है।
चल रही विभागीय जांच
संदिग्ध आचरण में एएसआई से लेकर आरक्षक तक शामिल रहै हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई कर लाइन अटैच किया गया। 5 पुलिस जवानों को सस्पेंड किया गया है। जांच के बाद उनकी बहाली कर विभागीय जांच की जा रही है। मौका दिया पर नहीं सुधरे
दुर्ग जिले में पदस्थ होने के बाद एसपी जितेन्द्र शुक्ला ने आईजी रामगोपाल गर्ग के मार्गदर्शन में कानून व्यवस्था में कसावट लाने के लिए कवायद शुरू की। जुआ, सट्टा, कबाड़ी और नशे के कारोबारियों के खिलाफ अभियान चलाया। इस बीच उन्हें कई पुलिस कर्मचारियों के संदिग्ध आचरण की शिकायत मिली। उन्होंने इसे बहुत गंभीरता से लिया। क्योंकि इससे
पुलिस विभाग की बदनामी होती और जनता का विश्वास भी कमजोर होता। उन्होंने पहले पुलिस कर्मचारियों को अपना आचरण सुधारने का मौका दिया। उसके बाद भी शिकायत मिली तो उन्होंने सीधी कार्रवाई शुरू कर दी।
पुलिस अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों को सुधरने का मौका दिया गया, लेकिन वे सुधरना नहीं चाहते। ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करेंगे। सभी को निर्देशित किया गया है बेहतर पुलिसिंग पर फोकसे करें। गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। – जितेन्द्र शुक्ला, एसपी दुर्ग