कभी-कभी 200 बिस्तर भी कम पड़ते हैं
वर्तमान में जिला अस्पताल में प्रति दिन 400-450 लोग ओपीडी पर्ची कटाकर इलाज कराकर वापस जाते हैं। कभी-कभी 200 बिस्तर मरीजों के लिए कम पड़ जाते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी ठंडी व बरसात के दिनों में होती है। दोनों सीजन में मरीज ज्यादा होते हैं।
स्टाफ की कमी ज्यादा चिंताजनक
चिकित्सकों की भर्ती के लिए अस्पताल प्रबंधन व स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर शासन को पत्राचार कर रिक्त पदों पर भर्ती करने की मांग करते हैं। लेकिन सभी पदों पर चिकित्सकों की भर्ती नहीं हो पाई है।
नर्सिंग कॉलेज के छात्रों के भरोसे अस्पताल
जिला अस्पताल व मातृत्व शिशु अस्पताल में स्टाफ नर्स की कमी के चलते मरीजों के इलाज के लिए नर्सिंग छात्रों से सहारा लिया जा रहा हैं। ये नर्सिंग कॉलेज की छात्रा सुबह से लेकर दोपहर तक सेवा दे रही हैं। दोपहर बाद अस्पताल में मरीजों के इलाज में समस्याओं का समाना करना पड़ता हैं।
स्टाफ नर्सों पर भी दबाव
ज्यादा मरीज आ जाते हैं तो इलाज व उनकी देखरेख में जैसा समय देना चाहिए, वैसा समय नहीं दे पाते। काम का दबाव अधिक रहने के कारण स्टाफ नर्स भी काम में दिमागी रूप से थक जाते हैं।
चिकित्सकों व स्टाफ नर्स की स्थिति (स्थिति फरवरी माह की)
स्टाफ – कुल स्वीकृत पद – कार्यरत – रिक्त
विशेषज्ञ चिकित्सक -18-8-10
मेडिकल चिकित्सक -15-12-03
स्टाफ नर्स -64-31-33
जिला अस्पताल में मरीज बढऩे के कारण
मुफ्त इलाज की सुविधा
मुफ्त डायलिसिस की सुविधा
मुफ्त एक्स-रे और सोनोग्राफी
इको और कीमोथैरेपी, कैंसर का इलाज
समान्य व सीजर प्रसव की सुविधा
नवजात बच्चों के लिए एनएससीयू की सुविधा,
एक साथ 90 प्रकार की जांच हमर लैब के जरिये वो भी निशुल्क।
नेत्र ऑपरेशन सहित अन्य सुविधाएं
एक दिन में 40-45 मरीज भर्ती, डिस्चार्ज 35-40
जिला अस्पताल के मुताबिक जिला अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 40-45 मरीज आईपीडी यानी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती होते हैं। वहीं 35-40 मरीजों को डिस्चार्ज किया जाता है। कई बार सामान्य मरीजों को तीन दिन के बजाए दो ही दिन में छुट्टी देनी पड़ रही है। नियम के तहत एक मरीज को तीन दिन तक रखना अनिवार्य है।
सरकारी योजनाओं का भी दिखा असर
जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं संबंधित केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का असर भी देखने को मिल रहा है। यहां डायलिसिल यूनिट भी है, जहां आयुष्मान कार्ड के जरिए मुफ्त इलाज की सुविधा मिल रही है। सौ बेड के सभी वार्डों को अत्याधुनिक रूप से संवारा गया। बड़े महंगे अस्पतालों की तरह बेड, पर्दे, एयर कंडिशनर वार्ड में मरीजों को रखा जा रहा है। डीआईसी यूनिट को भी शुरू कर दिया गया। इको और कीमो की सुविधा भी है।
चिकित्सकों व स्टाफ नर्सों की कमी चिंता का कारण
जिला अस्पताल बालोद के सिविल सर्जन डॉ. आरके श्रीमाली ने कहा कि जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार हुआ है। बेहतर सुविधा व इलाज के कारण मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। चिकित्सकों की कमी व स्टाफ नर्सों की कमी चिंता का कारण है। फिर भी हमारी टीम बेहतर करने का प्रयास कर रही है। भर्ती के लिए समय-समय पर पत्र भी लिखते हैं।